October 21, 2024

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महिला काव्य मंच” (मन से मंच तक)  काव्य गोष्ठी का हुआ आयोजन

  1. महिला काव्य मंच” (मन से मंच तक)  काव्य गोष्ठी का हुआ आयोजन

जय माँ शारदे🌹
“महिला काव्य मंच” (मन से मंच तक) देहरादून इकाई के तत्वावधान में मार्च माह की मासिक काव्य गोष्ठी 13 मार्च  दिन रविवार 2022को ऑफलाइन, जिला सचिव मणि अग्रवाल जी के निवास पर संम्पन हुई।
       महिला काव्य मंच की प्रदेश अध्यक्ष डॉ. विद्या सिंह जी ने गोष्ठी की अध्यक्षता की। मुख्य अतिथि डॉ. सुहेला अहमद जी , विशिष्ट अतिथि डॉ. क्षमा कौशिक जी एवं श्रीमती आभा सक्सेना दूनवी जी रहीं।
पावन उपस्थिति राष्ट्रीय कवि संगम के  क्षेत्रीय महामंत्री श्रीकांत ‘श्री’ एवं प्रदेश महिला महामंत्री महिमा ‘श्री’ की रही।
संचालन कविता बिष्ट जी द्वारा किया गया। गोष्ठी का शुभारंभ माँ शारदे की वंदना से डॉ. क्षमा कौशिक जी ने किया। तदुपरांत आमंत्रित कवयित्रियों ने होली पर शृंगार पर काव्य की विविध विधाओं में रचना पाठ कर गोष्ठी को सफल बनाया।
आमंत्रित स्वर-डॉ. विद्या सिंह, निशा “अतुल्य”, मणि अग्रवाल ‘मणिका,’ डॉ क्षमा कौशिक,  कविता बिष्ट, प्रो. उषा झा रेणु, रेखा जोशी, डा. सुहेला अहमद”नायब”, महिमा’श्री,’ कुसुम लता जी, आभा दुनवी, झरना माथुर जी रहे।
झरना जी ने  “फागुन की बसंत पर चढ़ी मस्तियाँ है,होली के रंग में बड़ी मस्तियाँ है” गीत का मधुर वाचन कर सभी को मुग्ध किया। तत्पश्चात रेखा जोशी जी ने “भाषाओं की तू जननी  व समकालीन आदमी” जैसी सारगर्भित रचनाओं का मधुर वाचन किया।  कविता बिष्ट जी  ने ” रंगों का मौसम है रंग लगाना चाहती हूँ” सुनाकर सभी की प्रशंसा प्राप्त की.  मणि अग्रवाल ‘मणिका’ जी ने  “आई जो ऋतु बसंत, आनंद हुआ अनंत” जैसी रचनाओं के माध्यम से छांदसिक छटा बिखेरी। डॉ क्षमा कौशिक जी ने “होली खेलन  आए श्याम पिया” गीत सुनाकर मन को प्रफुल्लित किया तो निशा ‘अतुल्य’ जी ने होली का गीत “जोगिरा सा र र र र सुनाकर” अनंत उत्साह का संचार किया। आभा सक्सेना दूनवी जी ने गुंझिया के स्वाद और खूबसूरती को जब ग़ज़ल में ढाला तो सभी वाह कर उठे। प्रो.उषा झा जी ने “होली खेलन संग राधिका,आए कृष्ण मुरारी, नीले पीले रंग लगाते ,देख बाँके बिहारी” गीत सुनाकर सभी को खूब आह्लादित किया। महिमा ‘श्री” जी के मघुरिम गीत ने तो सभी को थिरकने पर मजबूर कर दिया तो वही श्री कांत जी की ओजमयी वाणी ने  अपनी रचनाओं से अनंत ऊर्जा का संचार किया।
गोष्ठी के अंतिम चरण में  डॉ. विद्या सिंह जी ने “बौराया आम  दिखा पागल हुई बयार” जैसी मधुरिम रचना सुनाकर गोष्ठी को खुशनुमा बना दिया एवं अपने आशीवर्चनो से सभी की खूब सराहना कर सभी रचनाकारों का मनोबल बढाया। आपके सकारात्मक सुविचारों की उमंग लिए सभी ने एक -दूसरे को गुलाल लगाया और गोष्ठी को पूर्णता प्रदान की।
होली की  शुभकामनाओं और गीतों से काव्य गोष्ठी सफ़ल और अतिसुन्दर सम्पन्न हुई।
अंत में  संचालक कविता बिष्ट जी ने सभी का आभार व्यक्त किया।
  

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