February 11, 2025

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भाषा संस्थान करेगा 30 जून और 1 जुलाई को साहित्य गौरव सम्मान समारोह लोक भाषा सम्मेलन से लोक साहित्यकारों के बीच खुशी का महौल

उत्तराखंड भाषा संस्थान करेगा 30 जून और 1 जुलाई को साहित्य गौरव सम्मान समारोह लोक भाषा सम्मेलन से लोक साहित्यकारों के बीच खुशी का महौल

देहरादून । उत्तराखंड भाषा संस्थान उत्तराखण्ड साहित्य गौरव सम्मान समारोह आयोजन कर जिसमें लोकभाषा और हिंदी भाषा से जुड़े साहित्यकारों का सम्मान भी होगा गढ़वाली के दीर्घ कालीन साहित्यिक सेवा के लिए नरेंद्र कठैत , महावीर रंवाल्टा को रंवाल्टी भाषा के दीर्घ कालीन साहित्यिक  सेवा के लिए ,कुमाउनी भाषा के दीर्घ कालीन साहित्यिक के लिए त्रिभुवन गिरी को  साथ ही कुंमगढ़ के सम्पादक दामोदर जोशी  देवांशु को पत्रिका सम्पादन के लिए ,साथ ही हिंदी कथा साहित्य  में सिसकती साॅंकलें’ कथा संग्रह  के लिए  के लिए अमृता पांडेय को उत्तराखंड भाषा गौरव सम्मान मिलेगा। । यह आयोजन दिनांक- 30 जून, 20231 समय- दोपहर 02:30 बजे सेआई.आर.डी. टी. सभागार, सर्वे चौक, देहरादून आयोजित किया जायेगा। इस अवसर में बीज वक्तव्य में अनिल रतूड़ी, वरिष्ठ साहित्यकार/पूर्व पुलिस महानिदेशक, उत्तराखण्ड,प्रो. गिरिश्वर मित्र, पूर्व कुलपति, अन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, वर्धा का उदबोधन भी होगा । साथ कार्यक्रम में भाषा संस्थान के निदेशक का स्वागत वक्तव्य कार्यक्रम भी होगा और सम्मान समारोह के बाद लोकभाषा कवि सम्मेलन आयोजन होगा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर में मौजूद रहेगें पुष्कर सिंह धामी मुख्ममंत्री उत्तराखंड प्रदेश और कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के तौर में मौजूद रहेंगे भाषा मंत्री सुबोध उनियाल कार्यक्रम में मुख्य एवं विशिष्ट दोनों अतिथियों सम्बोधन भी होगा। साथ ही भाषा संस्थान होटल अकेता, राजपुर रोड, देहरादून को 1 जुलाई को प्रातः 10 से लोक भाषा सम्मेलन आयोजन करेगी ये सत्र दो चरणों मे चलेगा।
कुमाउनी भाषा का व्याकरण, डॉ. कमला पंत गढ़वाली भाषा का मागत विकास, लोकेश नवानी,गढ़वाली भाषा का लोक साहित्य, डॉ. नन्दकिशोर हटवाल लोक भाषाओं में पत्रिका प्रकाशन की चुनौतियाँ,डॉ. हयात सिंह रावत।
उत्तराखण्ड की लोक भाषाओं का वर्तमान परिदृष्य, डॉ. जयन्ती प्रसाद नौटियाल, सत्राध्यक्ष ,लोकभाषा सम्मेलन के दूसरे सत्र मेंमंचासीन अतिथियों का सम्मान गढ़वाली भाषा में औच्चारणिक विभेद, रमाकान्त बेंजवाल,उत्तराखण्ड के लोक गीतों में समसामयिक परिवेश,भारती पाण्डे,उत्तराखण्ड की उप बोलियां एवं अन्य भाषायें महावीर रंवाल्टा, लोक साहित्य, लोक परम्पराएँ और आधुनिक कला माध्यम प्रो. प्रभा पंत लोक साहित्य में नाटक व कहानी लेखन कुलानन्द घनशाला,उत्तराखण्ड की जनजातीय बोली एवं भाषाओं को संरक्षित करने के उपाय श्री एन.एच. नपलध्याल सत्राध्यक्ष यह सभी कार्यक्रम उत्तराखंड से जुड़ी भाषाओं के संवर्धन के लिए आयोजित हो रहा है। इस आयोजन से लोक साहित्यकारों में खुशी की लहर लोक साहित्यकार देहरादून पहुंचना शुरू हो गया है। सभी लोक साहित्यकारों का मानना है इस तरह के कार्यक्रमों से भाषाओं को विस्तार मिलेगा।

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