9 साहित्यकारों को उत्तराखण्ड गौरव सम्मान से सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून में उत्तराखण्ड भाषा संस्थान द्वारा आयोजित साहित्य गौरव सम्मान समारोह तथा लोक भाषा सम्मेलन में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने 9 साहित्यकारों को उत्तराखण्ड गौरव सम्मान से सम्मानित किया। पुरुस्कार समारोह के बाद साहित्यकार नरेंद्र कठैत ने कहा आज लोकभाषा कई तरह के खेमों में बंटी है । भाषा भी गंगा की तरह होती है जिस तरह गंगा एक भाषा भी एक है आज गढ़वाली भाषा भी सुस्त धारा में गंगा की तरह बह रही है भाषा की 8 वीं अनुसूची की मांग भी हो रही पर धरातल तस्वीर कुछ और है ऐसा भी नही काम नही हो रहा काम भी हो रहा पुरुस्कार भी मिल रहे हैं किन्तु आज तक उत्तराखंड राज्य में हमारी लोक से जुड़ी भाषा के लिए शोध संस्थान और एक लोकभाषा पुस्तकालय नही बना और ये दोनों काम जरूरी हैं । इन सभी मुद्दों में हमको एक होना होगा। भावुक होते हुए नरेंद्र कठैत जी ने कहा साहित्यकार भजन सिंह सिंह जी के नाम पर सम्मान मिलना एक बड़ी बात है अपने जीवन काल मे मेरे खाते में सिर्फ 5 या 6 कवि सम्मेलन हैं इन कवि सम्मेलनो में एक कवि सम्मेलन वो भी रहा जब भजन सिंह सिंह जी के साथ काव्य पाठ का सौभाग्य मिला।नरेंद्र कठैत ने कहा ये मेरा नही भाषा का सम्मान है हम सभी का सम्मान है और युगों *युगों* *तक हमारी भाषा का सम्मान रहेगा । इस अवसर में उन्होंने उत्तराखंड सरकार और पाठकों का धन्यवाद ज्ञापित किया।** मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे आयोजनों से प्रदेश में स्थानीय भाषाओं के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों में बोली जाने वाली बोलियों व उनमें रचे जा रहे साहित्य को भी प्रोत्साहन मिलेगा। देश के अनेक साहित्यकारों ने हिन्दी को विश्व पटल पर स्थापित करने में महान योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि हमारे यहां गढ़वाली, कुमाऊँनी और जौनसारी बोलियां बोली जाती हैं परन्तु हमारे प्रदेश का हिन्दी से गहरा लगाव है। उन्होंने इसे सुखद संयोग बताया कि साहित्य गौरव सम्मान पाने वाले साहित्यकारों में वे साहित्यकार भी शामिल हैं जो अनेक विशिष्ट बोलियों में रचना कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो समाज अपनी भाषा और बोलियों का सम्मान नहीं करता वह अपनी प्रतिष्ठा गवां देता है। अपनी भाषा व बोलियों को बचाने और उन्हें बढ़ाने के कार्य में आम लोगों की व्यापक सहभागिता की जरूरत है। इस महत्वपूर्ण कार्य को हम सभी को अपने घर के भीतर से आरम्भ करना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि समान नागरिक संहिता हेतु 12 फरवरी, 2022 को जनता से हमने वादा किया था कि हम समान नागरिक संहिता लाएंगे। इसे लागू करने हेतु गठित समिति द्वारा डेढ़ साल में 2 लाख से भी ज्यादा लोगों के सुझाव, विचार लिए और अब इसका ड्राफ्ट लगभग तैयार है।
इस अवसर पर भाषा विभाग के मंत्री सुबोध उनियाल, अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्व विधालय वर्धा के पूर्व कुलपति प्रो. गिरीश्वर मिश्र, साहित्यकार एवं पूर्व पुलिस महानिदेशक श्री अनिल रतूडी़, विधायक मोहन सिंह बिष्ट, प्रमोद नैनवाल आदि उपस्थित थे।
सम्मानित होने वाले नौ साहित्यकारों के नाम
चंद्रकुंवर बर्त्वाल पुरस्कार: संतोष कुमार तिवारी
शैलेश मटियानी पुरस्कार अमृता पांडे
डॉ. पीतांबरदत बड़थ्वाल पुरस्कार: प्रकाश
भैरवदत्त धूलिया पुरस्कार दामोदर जोशी
गुमानी पंत पुरस्कार: राजेंद्र सिंह बोरा उर्फ त्रिभुवन गिरी
भजन सिंह ‘सिंह’ पुरस्कार: नरेंद्र कठैत
गोविंद चातक पुरस्कार महावीर रवाल्टा
प्रो. उन्वान चिश्ती पुरस्कार राजेश आनंद असीर
अध्यापक पूर्ण सिंह पुरस्कार : गुरदीप
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