बेडु पाको बारामासा का झुस्या दमाई से क्या था कनेक्शन
उत्तराखण्ड स्थापना दिवस पर उत्तराखण्ड का सबसे लोकप्रिय गीत बेडु पाको बारामासा गीत इस बार फिर से चर्चा में है इस लोकप्रिय गीत को इस बार पच्चीस से अधिक गायकों ने इस गीत को गाया है और कई बड़े कलाकारो ने अभिनय किया है । ये गीत चाँदनी इंटरप्राइजेज यू ट्यूब चैनल में अपलोड हुआ है जिसका विमोचन उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के हाथों हुआ। बेडु पाको बारामासा गीत यूँ तो चालीस के दशक मे अल्मोड़ा के इंटर कॉलेज से लोकप्रिय हुआ और देश और दुनिया में पहुंचा मोहन उप्रेती और बजेंद्र लाल शाह की जुगलबंदी से पर इन दोनों धरोहरों पुरुष ने जिस चाय की दुकान में ये गीत सुना वो थे कला पारखी झुस्या दमाई थे। आज बेडु पाको बारामासा किसी भाषा या किसी एक व्यक्ति से ऊपर उठ गया है ऐसा गीत जिसके बोल और धुन कई बार गाई बजाई गई जिस में कई तरह का विचार विमर्श और शोध कार्य हुआ है। जो देश दुनिया में उत्तराखंड की पहचान बन चुका है। अगर ये बेड़ो पाको बारामासा गीत मोहन उप्रेती जी और बज्रेन्द्र लाल शाह ने देश दुनिया मे पहुँचाने श्रेय इन भगीरथो को जाता है किंतु इस गीत का गोमुख झुस्या दमाई का भी जिर्क होना चाहिए इस गीत और झुस्या दमायी पर शोध ग्रन्थ में गीतकार गिरीश तिवारी गिर्दा ने इस बात पर लिखा है ये झुस्या दमाई ने सुनाया था मोहन उप्रेती जी और बज्रेन्द्र लाल शाह जी औऱ वहीं से गीत उठा। इस पोस्टर मोहन उप्रेती जी और बज्रेन्द्र लाल शाह जी के साथ झुस्या दमाई नाम और फोटो होता तो झुस्या दमाई का भी सम्मान होता ।
**झुसया दमायी हुड़कि का था एक बड़ा फनकार **

झुसया दमायी हुड़की बहुत बड़ा बाजया था या कह सकते हुड़कि का बहुत बड़ा फनकार था साहब झुसया दमायी वो एक नेपाली था पर उत्तराखण्ड और दुनिया को ऐसा गीत उपहार दे गया पूछो मत साहब, झुस्या वही नेपाली था साहब जब अल्मोड़ा के किसी चाय की दुकान में मोहन उप्रेती जी और बज्रेन्द्र लाल शाह चाय पी रहे तभी एक लड़का बेडु पाको गीत गा रहा था हुड़कि कि थाप मे वही से गीत सुन बेडु पाको बजेन्द्र लाल शाह जी ने उसका म्यूजिक तैयार किया और मोहन उप्रेती मोहन दा ने इसको गाया और ये गीत बन गया धीरे धीरे ऊत्तराखण्ड लोकप्रिय गीत नही उत्तराखण्ड की पहचान आज तो क्या संस्कृत्तिक मंच शादी बारात में बैंड बाजो मे बजने वाला गीत बेडु पाको ही होता है आज ये गीत पुरि दुनिया छाया हुआ है , अगर झुसया दमायी नही होता तो ये गीत आज इन लोगो तक नही पहुँच पाता, झुसया हुड़कि बाजाने बहुत बड़ा खिलाड़ी था साहब उसकी हुड़कि थाप सुन लोग मंत्रमुग्ध हो जाते इसलिए झुमस्या दाई का साथ मोहन उप्रेती का साथ बहुत लंबा रहा क्योंकि मोहन उप्रेती जी को हुड़कि बहुत प्रेम था हुड़कि उनके साथ दिन रात रहती वो भी हुड़कि बड़े बजया थे , इसलिए झुसया दमायी और मोहन उप्रेती जोड़ने वाली हुड़कि ही थी।
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