शब्द मौन हो गये
छन्द गौण हो गये
विराम हो गयी कलम
विचार द्रोण हो गये
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बिखर रही सभी गज़ल
ठिठक रहे है पद सभी
आज के हालत से
बिन बाण त्रोण हो गये
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देख के भी वेदना
तेरी अरे धरा सुपुत्र
बागिओ के स्वर भी क्यों
आज रोण हो गए
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बिक रहे विदुर यहाँ
बिक रही है नीतियाँ
न्याय पथ ना जाने क्यों
आज श्रोण हो गए
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आस्था पे हो रहा
क्यों वार बार बार है
अभी सती जगी नहीं
ओ महाद्रोण सो गए
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विजयश्री ‘वंदिता’

कवि परिचय
नाम – विजय श्री ‘वंदिता’
सम्मान:
- उमा का “विद्या श्री” सम्मान
2.काव्यकुटुम्ब का “शब्द शिरोमणि सम्मान ” दिल्ली
विधा – गद्य लेखन ,काव्य लेखन एवं गायन
अन्य गतिविधियां – समय समय पर आकाशवाणी देहरादून सहित , विभिन्न संस्थाओं द्वारा आयोजित काव्य मंचों पर लंबे समय से काव्य पाठ।
समाजिक साहित्यिक कला संस्कृति से जुड़े मंचो में मंच संचालन।
राष्ट्रीय स्तरीय कार्यक्रम में सहभागिता के साथ उत्तराखंड का प्रतिनिधत्व : हास्य सम्राट सुरेंद्र शर्मा जी की अध्यक्षता मे काव्य पाठ फरवरी 2020 मे।
समाजिक कार्य : गरीब एवं बस्ती बच्चों को शैक्षिणिक कार्य एवं बेटी मान सम्मान में एक डाली अभियान की राष्ट्रीय संयोजिका ।
प्रकाशित कृति
काव्य संग्रह : अंतस के आरेख
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