सुरों की मल्लिका को मरणोपरांत पद्म भूषण:45 सेकेंड तक हेक का रिकॉर्ड आज भी बरकरार, 2 महीने पहले ही दुनिया को कह गईं अलविदा

पूरी जिंदगी पंजाब की लोक विरासत को संभालने वाली सुरों की मल्लिका गुरमीत बावा को मरणोपरांत पद्म भूषण अवार्ड देकर सम्मानित किया गया है। आज गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उनके परिवार को पद्म भूषण अवार्ड सौंपेंगे। लंबी हेक (सुर) की मल्लिका पंजाबी लोकगायिका गुरमीत बावा ने 77 साल पंजाब की विरासत के नाम करते हुए 21 नवंबर 2021 को दुनिया को अलविदा कह दिया था।
शादी के बाद पति ने पढ़ाई पूरी कराई
गुरमीत बावा अपनी बेटी लाची बावा के साल 2019 में गुजर जाने के बाद से बीमार रहती थीं। लेकिन पंजाबी सभ्यता व पंजाबी लोक गायकी को जीवित रखने वाली गुरमीत बावा ने कई पंजाबी गीतों में अपनी आवाज दी। उनका जन्म 1944 में गांव कोठे गुरदासपुर में हुआ था। उस समय पंजाब में लड़कियों को पढ़ने नहीं दिया जाता था। लेकिन गुरमीत ने शादी के बाद पढ़ाई पूरी की। गुरमीत की शादी किरपाल बावा के साथ हुई।
गुरमीत बावा ने कई पंजाबी गीतों में अपनी आवाज दी है।
पति ने हुनर पहचाना, मुंबई तक पहुंचाया
किरपाल ने ही गुरमीत को जेबीटी कराई और फिर उनके एरिया में वह पहली महिला थीं, जो टीचर बनीं। गुरमीत बेहद सुरीली आवाज की मल्लिका थीं। शादी के बाद पति किरपाल बावा ने उनके हुनर को और निखारा। उनका साथ दिया और वह मुम्बई तक पहुंच गईं। पुराने समय में बॉलीवुड और पंजाबी इंडस्ट्री की फिल्मों व गानों में जितनी भी बोलियां डाली जाती थीं, उनमें अधिकतर गुरमीत की ही आवाज होती थी।
गुरमीत का रिकॉर्ड आज तक नहीं टूटा
गुरमीत बावा को लंबी हेक की मल्लिका कहा जाता था। आज तक उनका रिकॉर्ड कोई तोड़ ही नहीं पाया। वह 45 सेकेंड तक हेक लगा लेती थीं। इतनी देर तक रुक पाना आजकल के युवाओं में किसी के बस की बात नहीं है।
बेटियों के नाम भी पंजाब की विरासत से जोड़े
गुरमीत बावा की तीन बेटियां हैं, जिनमें से एक लाची बावा थी, जिनका 2019 में देहांत हो गया। उनके अलावा गलोरी व पोपी बावा भी दो बेटियां हैं। यह तीनों नाम उन्होंने पंजाबी फोक म्यूजिक से जोड़कर रखे। गुरमीत बावा व लाची बावा के देहांत के बाद गलोरी बावा अब पंजाबी विरासत को संजोने का काम कर रही हैं।
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