नई शिक्षा नीति में कक्षा 2 तक के बच्चों के लिए लिखित परीक्षा नहीं लेने का सुझाव दिया गया
भारत सरकार की तरफ से 2020 में नई शिक्षा नीति लाई गई है। जिसके तहत एजुकेशन सिस्टम में कई परिवर्तन हो रहें हैं। एक तरह जहां ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के कोर्सेज में प्रवेश के लिए सीयूईटी एग्जाम आयोजित किया जा रहा है। वहीं, दूसरी तरफ नेशनल करिकुल फ्रेमवर्क के ड्राफ्ट (NCF) ने स्कूली शिक्षा को लेकर भी कई सुझाव दिए हैं। जिसमें कहा गया है कि कक्षा 2 के छात्रों की लिखित परीक्षा नहीं ली जानी चाहिए। क्योंकि मूल्यांकन से छात्रों के दिमाग पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। ऐसे में लिखित परीक्षा तीसरी क्लास से ही होनी चाहिए।
साथ ही एनसीएफ की तरफ से यह भी सुझाव दिया गया है कि 10वीं के छात्रों के लिए 6 विषय के बजाय 8 विषय को पास करना अनिवार्य बनाया जा सकता है। वहीं, 12वीं में दो बार बोर्ड पेपर हो सकता है। यानि कि सेमेस्टर पद्धति अपनाई जा सकती है। हालांकि, अभी ये नियम लागू नहीं किए गए हैं। लेकिन माना जा रहा है कि 2023-24 सत्र से इसे लागू कर दिया जाएगा। लेकिन उससे पहले केंद्र सरकार की मंजूरी भी मिलेगी।
ड्राफ्ट में कहा गया है कि कक्षा 2 तक मूल्यांकन को रिकॉर्डिंग और दस्तावेज़ीकरण मेंटेन करने के लिए किया जाना चाहिए। ताकि बच्चों पर मूल्यांकन से कोई अतिरिक्त बोझ न पड़े। मूल्यांकन उपकरण और प्रक्रियाओं को इस तरह डिज़ाइन किया जाना चाहिए कि वे बच्चे के लिए सीखने के अनुभव का एक स्वाभाविक विस्तार हों,”।
नई शिक्षा नीति लागू होने से पूरा एजुकेशन सिस्टम बदल जाएगा। इससे 10+2 का सिस्टम भी खत्म हो जाएगा। वहीं, इसे 5+3+3+4 में बांट दिया जाएगा। पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी तक बढ़ाई शामिल होगी। और अगले 3 वर्ष तक कक्षा 1 और कक्षा शामिल होंगे। वहीं, अगला चरण कक्षा 6 से कक्षा 8 तक होगा। जबकि चार साल तक कक्षा 9 से 12 तक की पढ़ाई होगी। उच्च शिक्षा में ग्रेजुएशन मल्टी एग्जिट सिस्टम पर आधारित होगा। यानि कि अगर कोई छात्र ग्रेजुएशन में प्रवेश लेकर एक साल में छोड़ देता है तो उसे सर्टिफिकेट, दो साल में डिप्लोमा और तीन साल में डिग्री दी जाएगी। लेकिन पीएचडी में प्रवेश के लिए 4 वर्ष का स्नातक करना होगा।
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