पैसों वाले पर्व मनाएँ, निर्धन देखें जेबें खाली।
इक सोचे क्या-क्या ले आऊँ, इक सोचे जाती कंगाली।।
रिझा रहे लक्ष्मी से, लक्ष्मी,
कुल उच्चवित्त हर्षित होकर।
चिंताओं कुछ पल सो जाओ,
कहती रही गरीबी रोकर।।
कहीं भोग छप्पन इतराए, कहीं अन्न को तकती थाली।
पैसों वाले पर्व मनाएँ, निर्धन देखें जेबें खाली।।
ग्रह नक्षत्र अमीरों के हों,
रूठे पल में मन जाते हैं।
बिना दक्षिणा निर्धन के घर,
पण्डित जी कब जा पाते हैं!!
और देव मंदिर में भी तो, चढ़े प्रसादी रुपयों वाली।
पैसों वाले पर्व मनाएँ, निर्धन देखें जेबें खाली।।
सोना-चाँदी,वस्त्र कीमती,
धन चुम्बक पर रहे चिपकते।
लिये गुहार नये वस्त्रों की,
निर्धन के गोपाल बिलखते!!
एक छोर दीवार सपन की, सतरंगी दूजे पर काली।
पैसों वाले पर्व मनाएँ, निर्धन देखें जेबें खाली।।
धन बेवज़ह लुटाया जाता,
जब ब्याही जाती शहज़ादी।
निर्धन की निद्रा भी गिरवीं,
कैसे हो बेटी की शादी!!
इक की पूनम भी मावस सी, दूजे की हर ही दीवाली।
पैसों वाले पर्व मनाएँ , निर्धन देखें जेबें खाली।।
मणि अग्रवाल “मणिका”
देहरादून उत्तराखंड

नाम :-मणि अग्रवाल “मणिका”
गृह संचालिका, काव्य उपासिका
पिता का नाम :-स्व. विनेश चंद माहेश्वरी
माता का नाम :-श्री मती माया माहेश्वरी
शहर :-देहरादून
जन्म दिनांक :-3 दिसंबर
जन्म स्थान :-नगीना (बिजनौर)
कर्म स्थान- देहरादून
शैक्षणिक उपलब्धि :-स्नातक
साहित्यिक उपलब्धि :-
चार साझा संकलन- पहाड़ी गूँज, नई लेखनी के शब्द सुमन, काव्य अश्व, बज़्मे हिन्द।
एकल काव्य संग्रह- प्रीत शयमला
सम्मान-
यों तो अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया किन्तु जो विशेष हैं….
“काव्य चक्रवर्ती” पुरस्कार लखनऊ की संस्था द्वारा,
“महादेवी वर्मा पुरस्कार दिल्ली से,
“नारी शक्ति पुरस्कार” जांजगीर से।
महिला काव्य मंच देहरादून के महासचिव पद पर।
राष्ट्रीय कविसंगम उत्तराखण्ड में गढ़वाल महामंत्री के पद पर।
काव्यांचल साहित्यिक संस्था लखनऊ की छंदशाला में उप प्रधानाचार्य के पद पर।
भावांकुर ई पत्रिका के सम्पादक मंडल में शामिल।
बहुत धन्यवाद अजयश्री फाउंडेशन का
स्वागत शुभकामनाएं धन्यवाद