जय माँ शारदे🌹
“महिला काव्य मंच” (मन से मंच तक) देहरादून इकाई के तत्वावधान में जनवरी माह की मासिक काव्य गोष्ठी 30 जनवरी दिन रविवार 2022को (ऑनलाइन) संपन्न हुई।
जिला उपाध्यक्ष प्रो.उषा झा “रेणु” जी ने गोष्ठी की अध्यक्षता की। महिला काव्य मंच तमिलनाडु इकाई की प्रन्तीय अध्यक्ष आ. सरला विजय “सरल” जी गोष्ठी की मुख्य अतिथि एवं आ. अर्चना छाबड़ा ‘ईश’ जी अध्यक्ष ऊधम सिंह नगर इकाई, विशिष्ट अतिथि रहीं। संचालन जिला सचिव मणि अग्रवाल”मणिका” द्वारा किया गया।
सर्वप्रथम आ.माहेश्वरी कनेरी जी ने माँ वाणी की वंदना कर मंच को पावनता प्रदान की तदुपरांत आमंत्रित कवयित्रियों ने काव्य की विविध विधाओं से गोष्ठी को सफल बनाया।
आमंत्रित स्वर-डॉ. विद्या सिंह, निशा “अतुल्य”, सरला विजय “सरल”, अर्चना छाबड़ा ‘ईश’ मणि “मणिका”, क्षमा कौशिक, कविता बिष्ट, शोभा पाराशर, डॉ. इंदु अग्रवाल, प्रो उषा झा रेणु, रेखा जोशी, डा. सुहेला अहमद”नायब”, नीरू नैय्यर ‘नीलोफ़र’ महेश्वरी कनेरी, अमृता पांडे एवं संगीता जोशी कुकरेती रहे।
वरिष्ठ कवयित्री महेश्वरी कनेरी द्वारा वाणी वंदना के उपरांत नीलू “नीलोफर”जी ने “आज जो देखा मैंने ज़ानिब आईने केआईना बोल उठा सुना कर सभी को मुग्ध किया। तत्पश्चात संगीता कुकरेती जी ने “वसुंधरा की है ये कथा, ध्यान लगाकर सुनना ज़रा” का मधुर वाचन किया। कविता बिष्ट जी ने “याद में ढलके आँसू बने मोती,इश्क में तुम्हारे जैसा जनाब नहीं” गीत सुनाकर माहौल को शृंगारिक कर दिया। नीरू गुप्ता “मोहिनी” जी ने “पूछे जो कोई कौन हूँ मैं? कहना कि कोई विशेष नहीं”सृजन से वाह-वाही बटोरी। अमृता पांडे जी ने बहुत ही भावपूर्ण रचना “अभी कुछ दिन पहले गांव से मां का फोन आया था”सुनाकर सभी को भावुक किया तो रेखा जोशी जी की नज़्म “गुज़र रहे हैं आज इस दर्दे हाल से, पांव भी अब थक रहे अपनी ही चाल से” को सभी कवयित्रियों ने खूब सराहा। अर्चना झा जी की रचना “बढ़ती ठंढ़ सिकुड़ते लोगों, गरम चुनावी दौर है ।” ने देश की वर्तमान स्थिति पर करारा प्रहार किया और प्रशंसा पाई। शोभा पाराशर जी के सृजन “कैलाश पर्वत है वास जिनका, मस्तक पै चिन्ह त्रिपुण्ड का है” से सभी को भक्ति के रंग में रंग दिया। डॉ. इंदु अग्रवाल जी की सारगर्भित रचना ” ज़िंदगी सच माएने में अब सयानी हो गयी” ने गोष्ठी की गरिमा बढ़ाई। क्षमा कौशिक जी ने “वृक्ष खड़ा रहा चुपचाप”कविता के द्वारा प्रकृति की ओर सबका ध्यान आकर्षित कर सार्थक सन्देश दिया। डॉ. सुहेला अहमद “नायब” जी ने” खा़के हरम के दामन झुकती यहां जबीं है, मेरा वतन यहीं है,मेरा चमन यहीं है” सृजन से देशप्रेम का खूबसूरत रंग सभी के हृदय पर अंकित किया। माहेश्वरी कनेरी जी ने बेटियों पर अपने कोमल भावों को सुनाकर सभी को आह्लादित किया। डॉ. विद्या सिंह जी ने हमेशा की तरह उत्कृष्ट सृजन ” बापू के सपने भला कैसे हों साकार?” सुनाकर सभी को उनके कर्तव्यों का भान करवाया। निशा “अतुल्य” जी ने शृंगारिक घनाक्षरी ” आया देखो मधुमास, लगें मुझे सब खास” से छांदसिक रंग बरसाए। मणि अग्रवाल “मणिका” ने छंदबद्ध गीत “अधूरी प्रीत है प्रियतम,अखिल अनुराग बन आओ” को सुनाकर सभी को बहुत आह्लादित किया।
गोष्ठी के अंतिम चरण में विशिष्ट अतिथि अर्चना छाबड़ा “ईश” जी ने अपने आशीर्वचनों से सभी को कृतार्थ किया एवं “आओ अपने जीवन की किताब के रचयिता हम खुद बनें” जैसी प्रेरक रचना सुनाकर सभी को एक नई दिशा दिखाई।
मुख्य अतिथि आदरणीया सरला विजय “सरल”जी ने अपने उद्बोधन से सभी कवयित्रियों का खूब उत्साहवर्धन किया और सभी को हृदय से शुभकामनाएँ दीं साथ ही अपनी बहुत सुंदर रचना “जब आता है मधुमास खिल उठता है मन का उपवन” का वाचन कर सभी का दिल जीत लिया। प्रो. उषा झा “रेणु” जी ने अध्यक्षीय उद्बोधन एवं अपने सुंदर सृजन “नयन आँसुओं से भरता ज़माना” का प्रभावी वाचन कर गोष्ठी को पूर्णता प्रदान की। बहुत ही हर्षोल्लास का माहौल पूरी गोष्ठी में बना रहा, जिससे गोष्ठी सफल एवं प्रभावी रूप में पूर्ण हुई। अंत में संचालिका “मणिका” ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए प्रन्तीय अध्यक्ष की अनुमति से गोष्ठी की संपूर्णता की घोषणा की।

मणि अग्रवाल “मणिका”
जिला सचिव, महिला काव्य मंच
देहरादून इकाई।
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