February 8, 2025

Ajayshri Times

सामाजिक सरोकारों की एक पहल

कवयित्रियों ने जमाया कविताओं का रंग महिला काव्य मंच देहरादून इकाई में

 

 

कवयित्रियों ने जमाया कविताओं का रंग महिला काव्य मंच” (मन से मंच तक) देहरादून इकाई में

जय मॉं शारदा🙏
महिला काव्य मंच” (मन से मंच तक) देहरादून इकाई के तत्वावधान में जून माह की मासिक काव्य गोष्ठी 25 मई 2022, दिन शनिवार को सायं चार बजे सम्पन्न हुई। गोष्ठी महानगर अध्यक्ष डॉ इंदु अग्रवाल जी की अध्यक्षता में हुई । मुख्य अतिथि क्षेत्रीय महा मंत्री आदरणीय श्री कांत श्री जी रहे और विशिष्ट अतिथि प्रांतीय अध्यक्ष महिला काव्य मंच डॉ विद्या सिंह जी रहीं ; संचालन उषा झा जी ने किया।
गोष्ठी में श्री कांत श्री , डॉ. इंदु अग्रवाल, डॉ. विद्या सिंह, महिमा “श्री”, यामा शर्मा उमेश, नीलम प्रभा वर्मा, निशा गुप्ता अतुल्य जी , प्रो उषा झा रेणु, नीरू नैय्यर ‘नीलोफ़र’जी, झरना जी, करुणा वर्मा स्वराज गुप्ता जी,कुसुम जी शशि देवली जी, की उपस्थिति रही।

परंपरागत तरीके से माँ वाणी की वंदना द्वारा गोष्ठी का शुभारंभ हुआ। वंदना कुसुम पंत जी द्वारा की गई।
तत्पश्चात नीलू नीलोफर जी ने ” बज़ाहिर क़त्ल मे शामिल नहीं है मगर क्या वो मेरा कातिल नहीं है ” सुनाकर आनंदित किया। कुसुम पंत जी ” बेबस कलिंग कैसी रही धरती घिरी इसका रुदन सुनते नहीं लाशें बिछी बेचैन मैन आंसू लिये, धरती गगन”ने भी खूब रंग जमाया। यामा शर्मा उमेश जी ने “नारी हूँ संवेदनाओ का प्रवाह हूँ कुछ गीत रच दिए गये धड़कनो के लिये नारी हूँ संवेदनाओं का प्रवाह हूँ ” रचना सुनाकर नारी के महत्व को बखूबी दर्शाया। सभी ने उनके सृजन को खूब सराहा। निशा अतुल्य जी की सारगर्भित रचना ” सूरज को मुट्ठी मे बंद करने कि ठानी है ऐसे ना सोच मुझे सोच मेरी दीवानी है मेरे पँख जरा जब से जो अपने खोले दुनिया के जिगर पे सांप लेटता फानी है ” ने सबको मंत्रमुग्ध कर दिया ” युवा कवियत्री करुणा शर्मा जी ने पिता पर अपनी रचना छत्र छाया मे तुम्हारी जीवन बड़ा आसान था ना कोई सुध ना फ़िक्र न गमो का कोई नाम था छत्र छाया मे……सुना कर सबका असीम स्नेह प्राप्त किया।
इसके पश्चात प्रो.उषा झा रेणु जी ने “‘उस समंदर पीर की सब बात भी मालूम है खूबसूरत उन ह्रदय के घात भी मालूम है ” रचना सुनाकर वाहवाही बटोरी। जिनकी सुरीली आवाज़ हमेशा सभी के कानों में अमृत घोलती है ऐसी महिमा “श्री” जी के गीत “मौन है अंबर मौन दिशाये मौन हुई है धरा सारी
द्रोपदी आज सभा मे लूटती लाज बचा लो गिरधारी ” को सुनकर सभी भावुकता के सागर में गोते लगाने लगे। शशि देवली जी कैसे कह दे साँसो से कुछ पल ठ हर जाना मेहबूब आने वाले है थोड़ा दिल को बहलाना” रचना सुना कर सबकी वाहवाही लूटी । झरना माथुर जी ने अपनी भी खूबसूरत रचना ” हसरते है कही तेरी उल्फत निभाएंगे रंजिशे हो कही ये मोहब्बत निभाएंगे ” सुनाकर सभी की खूब सराहना प्राप्त की। इसके बाद झूम झूम गीतों का आ गया है पाहना।रिमझिम के मौसम को दे रहा उलाहना । गीत गा कर डॉ नीलम प्रभा जी ने माहौल को वर्षा ऋतु का एहसास करा दिया इसके बाद आयोजन की विशिष्ट अतिथि डॉ. विद्या सिंह जी ने अपनी मधुर प्रेमपूर्ण वाणी मे अपनी रचना तुम बिंदु प्रियतम मै परिधि तुम हीं मेरे आधार हो
तुमसे ही खुशियाँ मेरी तुम हीं मेरे संसार हो….. सुनाई जिसने सबके हृदय को छू लिया। इसके पश्चात आयोजन के मुख्य अतिथि महोदय आदरणीय श्री कांत श्री जी ने ‘कवि है तो कवि धर्म को हमे निभाना होगा
जैसी मांग देश कि होंगी वैसे गाना होगा ” अपनी विशिष्ट शैली मे सुना कर हमेशा कि तरह एक अलग हीं सन्देश दिया और सभी रचनाकारों ने सकारात्मकता का संचार किया। गोष्ठी के अंतिम चरण में गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहीं डॉ. इंदु अग्रवाल मैम ने आज अपने अलग विशिष्ट अंदाज मे समीक्षात्मक टिप्पणी करते हुए रचनाकारों की रचनाओं पर और उनके व्यक्तित्व पर काव्यात्मक अंदाज मे स्वरचित पंक्तियों द्वारा सराहाना कर उपस्थित कवियत्रियों को अभिभूत कर दिया उसके पश्चात अपनी एक रचना चलो अब मखमली जज़्बात को इरशाद करते है
चलो अब मुहब्बत की फ़िज़ा को आबाद करते है….को सुनाकर माहौल को खुशनुमां बना दिया। और इसके साथ हीं उनहोने सभी का आभार प्रकट कर गोष्ठी की पूर्णता की घोषणा की।

विजयश्री वंदिता

Please follow and like us:
Pin Share

About The Author

You may have missed

Enjoy this blog? Please spread the word :)

YOUTUBE
INSTAGRAM