सोशल मीडिया से सामाजिक सरोकारों तक लोसा lansdowne old student association
लोसा यानी लैंसडाउन ओल्ड स्टूडेंट ऐसोसिएशन एक ऐसा ग्रुप है जो लैंसडाउन उत्तराखंड के पुराने छात्रों जोड़ने की एक मुहिम सोशल मीडिया से शुरू हुई। साल 2010 का साल था । यूँ तो लैन्सडाउन के इतिहास का सबसे दुखद पहलू यह रहा है कि यहाँ पर शिक्षा प्राप्त करने वाले व नौकरी पैशा करने वाले लोग अपने जीवन की सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा यहाँ गुजारने के बावजूद सिविल क्षेत्र की कमी के कारण यहाँ बस नही पाये जो कि इस कस्बे के लिए अभिशाप साबित हुआ है । इसी भावना से आहत व पूर्व छात्रो व उनके परिवार को शहर से जोडे रखने के उद्देश्य से सन् 1973 में गुरूजी सतीश चन्द्र नैथानी द्वारा “ लैन्सडाउन ओल्ड स्टुडेन्ट एसोसिएशन ” (लोसा) का गठन किया गया था पर लोसा नए कलेवर के साथ 2010 लैन्सडाउन के पुराने छात्रों को जोड़ने के लिए फेसबुक ग्रुप बनाया गया । 2010 फेसबुक में चन्द्रपाल पटवाल , राजीव बर्थवाल, सुमन चन्द्र बौंठियाल, जनार्दन शर्मा , अमित नेगी, राकेश शर्मा,सुनील नौटियाल. हास्य कलाकार घनानन्द घन्ना भाई, सतीश कालेश्वरी , अजय काला, आनंदी रावत, स्व. अश्वनी कोटनाला, लक्ष्मी थापा ,भावना वर्मा, अनुज खंडेलवाल, डॉ संजय कुमार हिस्ट्री प्रोफेसर जीडीसी लैंसडौन जो कि अब सतपुली मे प्रिंसिपल है, डॉ मेहरबान सिंह गुसाईं।पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत वर्तमान में गढ़वाल सांसद, पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत आदि सदस्यों के बीच वार्ता में फैसबुक पर “लोसा ग्रुप” के माध्यम से लैन्सडाउन के पूर्व छात्रों को एक ही छाते के अन्दर लाने पर सहमति हुई व तुरन्त नवम्बर -2010 मे राजीव बर्थवाल द्वारा ‘लोसा ग्रुप ’ का गठन फैसबुक पर हुआ । धीरे-2 ग्रुप की मेम्बरशिप बढती गई तथा 87 वर्ष के बलवीर सिंह रावत जी से लेकर 2015 में पास आउट छात्र तक एक ही मंच पर विचारो का आदान प्रदान करने लगे । इसी बीच मेम्बरों के बीच में हर वर्ष लोसा मीट , आयोजित करने पर सहमति बनी एंव राकेश शर्मा, शशि शेखर सिंह नेगी , कमलजीत भारती, संजना वर्मा, अजय काला, मोहन सिंह डेविस , नवीन जोशी , सतीश कालेश्वरी , अनिल नेगी आदि यारों दोस्तों के मिलने के लिए बना ये फेसबुक ग्रुप अपनी स्मृतियों साझा करने के लिए बना था। पर धीरे धीरे लोसा ग्रुप समाजिक सरकारों जैसे विषयों जुड़ने लगा। लोसा ने गरीब छात्रों के लिए छात्रवृत्ति देनी की पहल शुरू की साथ प्रतिभावन छात्रों के लिए काम करना भी शुरू किया। खेलकूद हो सांस्कृतिक गतिविधियों भी करनी शुरू करी साथ समाज मे अलग अलग कार्य क्षेत्रों में लोगो को सम्मानित करने बीड़ा भी उठाया । आज देश और दुनिया तक लोसा के सदस्य अलग जगहों में अपनी सेवा दे रहें हैं । जून औऱ दिसम्बर में माह में लोसा अपनी मीटिंग और वार्षिकोत्सव जैसे कार्यक्रम चलाता है । लोसा कार्यक्रमों में लोसा की टीशर्ट भी आकर्षण केंद्र रहती हैं जो हर साल अलग अलग कलर डिजाइन में लोसा मेंबर्स में सजती है। जिसमे लोसा के सभी सदस्य आतें हैं अपनी स्कूल कॉलेज की मेमोरी के साथ साथ समाज क्या सहभागिता लोसा निभा सकता है इसका चिंतन मंथन करते रहते हैं। आज लोसा अपनी एक दशक लम्बी यात्रा मे कई सामाजिक सरोकारों साथ आगे बढ़ रहा है। लोसा जैसी संस्था आज जो सोशल मीडिया के दौर में स्कूल कॉलेज के दोस्तो मिलने जुलने शुरू हुआ अभी तक लोसा 10 गेट टू गैदर मिट हो चुकी हैं जिनमें दुसरी मिट दिल्ली में हुई बाकी सब लैंसडाउन में हुई है। ये सफरनामा आज भव्य समाजिक आंदोलन का रूप ले लिया है।
सोशल मीडिया से सामाजिक सरोकारों तक लोसा lansdowne old student association
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