बैडमिंटन स्टार लक्ष्य सेन ने कॉमनवेल्थ गेम्स में जीता गोल्ड , मूलतः अल्मोड़ा उत्तराखंड रहने वाले हैं
Lakshya Sen Commonwealth Games Final: भारत के बैडमिंटन स्टार लक्ष्य सेन ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 के पुरुष सिंगल्स फाइनल में धमाकेदार प्रदर्शन किया है. उन्होंने पहला गेम गंवाने के बाद जोरदार पलटवार किया और मलेशिया के त्जे यंग (Tze Yong) को 19-21, 21-9, 21-16 से हराया.
लक्ष्य vs यंग
पहला गेम: 21-19 से यंग जीते
दूसरा गेम: 21-9 से लक्ष्य जीते
तीसरा गेम: 21-16 से लक्ष्य जीते
लक्ष्य सेन का कॉमनवेल्थ गेम्स के सिंगल्स में अपना यह पहला ही मेडल है. दुनिया के 10वें नंबर के शटलर लक्ष्य सेन ने कॉमनवेल्थ में यह दूसरा मेडल जीता है. उन्होंने पहला मेडल इसी बार मिक्स्ड टीम इवेंट में सिल्वर जीता था. अब इसी सीजन में उन्होंने गोल्ड जीतकर इतिहास रच दिया है.
हेड-टु-हेड
लक्ष्य सेन और मलेशियाई प्लेयर त्जे यंग के बीच यह तीसरा मुकाबला रहा. तीनों ही मैचों में लक्ष्य सेन के आगे मलेशियाई प्लेयर की एक नहीं चली. जब भी दोनों प्लेयर आमने-सामने आए, तब भारतीय स्टार शटलर ने ही बाजी मारी. इस बार फाइनल में दोनों की टक्कर थी. ऐसे में पलड़ा लक्ष्य का ही भारी नजर आ रहा था और उन्होंने इसे साबित भी किया.
मेडल टैली में भारत का ये हाल
भारत ने 10वें दिन यानी रविवार को कुल 15 मेडल हासिल किए थे. 11वें दिन भारत ने सिंधु के बाद लक्ष्य सेन ने दूसरा गोल्ड दिलाया है. इसके साथ भारत मेडल टैली में चौथे स्थान पर बरकरार है. भारत के नाम 20 गोल्ड, 15 सिल्वर एवं 22 ब्रॉन्ज मेडल हैं.
दादा की विरासत को बढ़ाया आगे, बैडमिंटन कोच पिता ने बेटे के लिए छोड़ा था शहर
लक्ष्य सेन को उनकी मंजिल तक पहुंचाने के लिए उनके पिता डीके सेन ने दिन-रात एक कर दिया। उत्तराखंड के अल्मोड़ा के रहने वाले लक्ष्य की सफलता की कहानी काफी रोचक है।
भारत के युवा बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन ने राष्ट्रमंडल खेलों में कमाल कर दिया है। उन्होंने पुरुष एकल के फाइनल में मलेशिया एंग जे यॉन्ग को हराकर स्वर्ण पदक जीत लिया है। उनका राष्ट्रमंडल खेलों में यह पहला पदक है। इस साल थॉमस कप जीतने वाली टीम के सदस्य रहे लक्ष्य पिछले एक साल में भारत के टॉप शटलर बनकर सामने आए हैं। उत्तराखंड के अल्मोड़ा के रहने वाले लक्ष्य की सफलता की कहानी काफी रोचक है।
लक्ष्य सेन को उनकी मंजिल तक पहुंचाने के लिए उनके पिता डीके सेन ने दिन-रात एक कर दिया। डीके सेन ने अपने दोनों बेटों को बेहतर बैडमिंटन खिलाड़ी बनाने के लिए अल्मोड़ा तक छोड़ दिया और बेंगलुरु चले गए। हालांकि, अल्मोड़ा से उनका रिश्ता अब भी है और लक्ष्य वर्ल्ड चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने के बाद वहां गए भी थे।
लक्ष्य के दादा भी थे बैडमिंटन खिलाड़ी
लक्ष्य के दादा सीएल सेन बैडमिंटन के एक बेहतरीन खिलाड़ी थे। उन्होंने राज्य और राष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिताएं जीतीं थीं। उनकी लगन और जज्बे के कारण अल्मोड़ा में बैडमिंटन को बढ़ावा मिला। इसी के चलते उन्हें अल्मोड़ा में बैडमिंटन का पुरोधा भी माना जाता है। उस विरासत को अब लक्ष्य ने आगे बढ़ाया है। उन्होंने सिर्फ राज्य या देश में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवाया है।
प्रकाश पादुकोण अकादमी से जुड़े हैं पिता
लक्ष्य के पिता डीके सेन बैडमिंटन के जाने-माने कोच हैं और वर्तमान में प्रकाश पादुकोण अकादमी से जुड़े हैं। पिता की देखरेख में लक्ष्य ने होश संभालते ही बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया और वह चार साल की उम्र से स्टेडियम जाने लगे। छह-सात साल की उम्र में ही लक्ष्य का खेल और उसकी प्रतिभा हर किसी को हैरान करती थी।
लक्ष्य सेन
लक्ष्य के भाई हैं बैडमिंटन खिलाड़ी
लक्ष्य सेन के बड़े भाई चिराग सेन भी अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। चिराग जूनियर राष्ट्रीय बैडमिंटन चैंपियनशिप और जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में नंबर दो रह चुके हैं। 2018 में लक्ष्य ने जूनियर एशियन बैडमिंटन चैंपियनशिप अपने नाम की थी। उसके बाद से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा है। वह लगातार बड़े टूर्नामेंट में जीत हासिल कर रहे हैं। वर्ल्ड चैंपियनशिप और थॉमस कप पदक के बाद अब उनकी झोली में राष्ट्रमंडल खेलों का भी पदक आ गया है।
लक्ष्य सेन की उपलब्धियां
टूर्नामेंट साल स्पर्धा पदक
वर्ल्ड चैंपियनशिप 2021 एकल कांस्य
थॉमस कप 2022 मिक्स्ड टीम स्वर्ण
राष्ट्रमंडल खेल 2022 एकल स्वर्ण
राष्ट्रमंडल खेल 2022 मिक्स्ड टीम रजत
एशिया टीम चैंपियनशिप 2020 पुरुष टीम कांस्य
यूथ ओलंपिक 2018 एकल रजत
यूथ ओलंपिक 2018 मिक्स्ड टीम स्वर्ण
वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप 2018 एकल कांस्य
एशियन जूनियर चैंपियनशिप 2018 एकल स्वर्ण
एशियन जूनियर चैंपियनशिप 2016 एकल कांस्य
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