International Labour Day 2022: हर साल अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस 1 मई को मनाया जाता है. इसे कुछ लोग मई डे (May Day) के रूप में भी मनाते हैं. ये दिन मजदूरों की उपलब्धियां और देश के विकास में उनके योगदान को सलाम करने का दिन है. कई ऐसे देश भी हैं, जहां पर इस दिन अवकाश रखा जाता है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि इस दिन की शुरुआत कैसे और क्यों हुई थी. आज का हमारा लेख इसी विषय पर है. आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि अंतरष्ट्रीय मजदूर दिवस क्यों मनाते हैं.
कैसे हुई मजदूर दिवस की शुरुआत
इस दिन की शुरुआत 1 मई सन् 1886 को अमेरिका में एक आंदोलन के कारण हुई थी. इस आंदोलन में अमेरिका के मजदूर शामिल थे, जिन्होंने काम के लिए 8 घंटे निर्धारित करने की मांग की थी. इससे पहले इन मजदूरों से 15-15 घंटे काम करवाया जा रहा था. ऐसे में मजदूर अमेरिका की सड़कों पर उतर आए थे. इस आंदोलन के दौरान कुछ मजदूरों पर पुलिस ने गोली भी चलाई, जिसके कारण कुछ मजदूरों की मौत हो गई वहीं 100 से ज्यादा मजदूर इस आंदोलन के चलते घायल भी हुए. 1889 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन ने जब दूसरी बैठक की तो उस बैठक में एक प्रस्ताव पारित करने के साथ-साथ 1 मई का दिन अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा, इस बात की भी घोषणा की. वहीं यह भी कहा गया कि इस दिन सभी मजदूर, कामगारों और श्रमिकों की छुट्टी रहेगी. इससे अलग दुनिया के देशों में मजदूर 8 घंटे ही काम करेंगे.
अगर भारत की बात की जाए तो हमारे देश में लेबर डे की शुरुआत 1923 में चेन्नई में हुई थी. इसकी शुरुआत लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान ने मद्रास में की थी. इस दिन पहली बार लाल रंग झंडा मजदूर दिवस के प्रतीक के रूप में उपयोग में लाया गया था.
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