नरेंद्र कठैत की नई पुस्तक मुंड मा आग / पीठ पर पाड़…. पुस्तक का पोस्टर हुआ रिलीज।
नरेंद्र कठैत की नई पुस्तक मुंड मा आग / पीठ पर पाड़…. पुस्तक का पोस्टर हुआ रिलीज हुआ नरेंद्र कठैत हर साल 28 अप्रैल अपने जन्मदिन के अवसर में अपनी साहित्य कृति का पोस्टर विमोचन कार्य हर वर्ष करते आ रहे हैं यह अनुवाद पुस्तक साहित्यकार नरेंद्र कठैत ने प्रसिद्ध चित्रशिल्पी बी मोहन नेगी को समर्पित की है । नरेंद्र कठैत गढ़वाली और हिंदी भाषा में लिखने वाले साहित्यकार हैं । हिंदी औऱ गढ़वाली भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार नरेंद्र कठैत मूल विधा साहित्य में नाटक और व्यंग की रही। परन्तु उन्होंने काव्य से लेकर गद्य की सभी मुख्य विधाओं में कलम चलाई है । जिनमे आलेख, निबंध, अनुवाद जीवन दर्शन औऱ सम्पादन , समीक्षा कार्य भी निरंतर करते आयें है। अभी तक 20 से ज्यादा पुस्तकों में लेखन कर चुके हैं ।
और इस बार उनकी नई पुस्तक मुंड मा आग / पीठ पर पाड़….136 रचनाकारों की कुछ खास रचनाओं का गढ़वाली अनुवाद पुस्तक आने वाली है। इस अनुवाद कार्य को मूर्त रूप देने मेंं लगभग एक दशक का समय लगा। लंबे समय से इन कविताओं में अनुवाद का कार्य गम्भीरता करते आ रहे हैं जिसको इस वर्ष पुस्तक रूप दिया है । यूँ तो साहित्यकार नरेंद्र कठैत अनुवाद नही अन्वार शब्द प्रयोग किया है और उसके पीछे यह मनन चिंतन है नरेंद्र कठैत जी का किसी अन्य भाषा जब किसी लोकभाषा के ढब ढांचे में ढलती है तो उसके अनुसार शब्दों का चयन करना पड़ता भाषा की मूल आत्मा में कविता रूपांतर हो इस हिसाब से यह कविताएं अनुवाद या रुपान्तर नही भाषांतर कहना अधिक उचित होगा जिसको गढ़वाली अन्वार नाम दिया है । गढ़वाली ढब ढांचे गढ़वाली साहित्य को पढ़ने वाले पाठकों के लिए। यह पुस्तक राष्ट्रीय भाषा और लोकभाषा के मध्य सेतु कार्य करता हुआ ग्रन्थ है। इस पुस्तक में कुछ अनुवाद कविताओं में प्रसिद्ध चित्रकार बी मोहन नेगी के कविता पोस्टरों को भी स्थान मिला है। पूर्व में नरेंद्र कठैत के गढ़वाली अनुवाद में बी मोहन नेगी द्वारा 200 से अधिक कविता पोस्टरों मे कविता कार्य भी हुआ है। नरेंद्र कठैत की गढ़वाली अनुवाद विधा में यह तीसरा ग्रन्थ है इससे पूर्व रमेश पोखरियाल निशंक की कविताओं में गढ़वाली अनुवाद जिन्दग्या बाटा मा पुस्तक भी पाठकों के बीच आ चुकी है। औऱ राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा बाल साहित्य पर केंद्रित फुटबॉल गढ़वाली अनुवाद पुस्तक भी आ चुकी है। साथ ही नरेंद्र कठैत की दो गढ़वाली पुस्तकें गुरूराम रॉय विश्वविद्यालय में बीए हिंदी द्वितीय सेमेस्टर और एमए हिंदी द्वितीय सेमेस्टर में पाठ्यक्रम में लगी हुई हैं।प्रसिद्ध चित्रकार बी मोहन नेगी की प्रथम पुण्यतिथि में उन्होंने बी मोहन नेगी स्मृति ग्रन्थ का सम्पादन और बी मोहन नेगी जीवन दर्शन में लिखी दो ग्रन्थ भी निकाले हैं जो उनके द्वारा किया गया अतुुुलनीय कार्य है कला साहित्य संस्कृति जुड़े लोगों के लिए । कला और शब्द शिल्पियों को यह कार्य सदा प्रेरणा देकर उनका यह कार्य साहित्य और कला जगत को सींचता रहेगा। गढ़वाली साहित्य में अभी तक सबसे अधिक पुस्तक प्रकाशित करने वाले साहित्यकार हैं नरेंद्र कठैत गढ़वाली साहित्य मेंमुंड मा आग / पीठ पर पाड़ यह उनकी प्रकाशित18 वीं गढ़वाली पुस्तक होगी। जो गढ़वाली साहित्य और देश दुनिया के भाषा साहित्य से संवाद करती अपनी तरह की एक अलग पुस्तक होगी । इस पुस्तक आकर्षक कवर बनाया प्रतिष्ठित चित्रकार सन्दीप राशिनकर ने। यह पुस्तक जल्द ही रावत डिजिटल नई दिल्ली द्वारा बाजार में उपलब्ध होगी पाठकों के लिए।
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