- गंगा दशहरा गंगा अवतरण का दिवस यानी गंगा जी का धरती में आने का दिवस । इस साल गंगा दशहरा नौ जून को है। कहा जाता है कि ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। उन्होंने राजा भगीरथ के पूर्वजों का उद्धार किया, जिससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई। इसलिए इस दिन गंगा में स्नान और दान का बहुत अधिक पुण्य माना जाता है।। गंगा को भारत देश में सिर्फ नदी नही माँ माना गया है। मध्य हिमालय की पहाड़ियों से निकलने वाली हर एक छोड़ी बड़ी सहायक नदियों से लेकर गाड़ गदेरे झरने की हर एक बूंद गंगा है जो गंगा मिलकर गंगा को कितने औषधि गुणों भर देते हैं आज गंगा के दर्शन के लिए देश दुनिया से लोग गंगा जी के दर्शन हेतु आते हैं । पर दर्शन के साथ स्वच्छता पर भी ध्यान देना जरूरी है। आज गंगा स्वच्छ रखने के नाम पर कितनी तरह योजना चल रही हैं और कितनी तरह के सामाजिक संस्थाए गंगा पर चिंतन कर बड़े बड़े इवेंट मैनेजमेंट से सेमिनार करते रहते हैं धार्मिक आस्था से जुड़े कार्यक्रम गंगा आरती सब गंगा जी मे होता है जो अच्छी बात पर इतने सब कुछ होने के बाद लोग गंगा के प्रति स्वच्छता के लिए कितने जागरूप है बद्री केदार गंगोत्री यमनोत्री के घाटों को किस तरह पर्वतीय इलाकों में छोटे छोटे नगर कस्बो कूड़ा करट का डबिंग जोन नदी किनारों बना दिया। ऋषिकेश हरिद्वार से लेकर उत्तराखंड के नदी घाटों के किनारे बने चेंजिंग रूम को मल मूत्र शरीर गन्दगी से भर दिया तीर्थराज हरिद्वार के चेंजिंग रूम और गन्दे हो रखे हैं । ऋषिकेश के घाटों को कुछ पर्यटकों ने गोवा बीच बना दिया जिधर शराब बियर और नाचने झूमने के लिए स्थान रह गयें हों। ऋषिकेश के समीप नीर झरने और देहरादून सहस्त्रधारा किस तरह अय्यासी का अड्डा बन चुके हैं और झरनों में चिप्स के रैपर कोल्डड्रिंक और शराब और बोतल फेंकने लोग झिझक नही रहे ।आखिर गंगा के माईके देवभूमि उत्तराखंड में आप पाप धोने आये या पाप करने। सहस्त्रधारा जिसकी हजारों धारा में औषधीय गुण हैं जिन झरनों नदियों में आपने अपने शरीर विकार हटाने उसको तन के मैल गन्दा कर आप दूसरे इंशानो को भी त्वचा के एलर्जी रोग दे रहे हो ये सोचने का प्रश्न है।जिस सहस्त्रधारा में आकर गन्दक पानी से नहाकर लोग अपने त्वचा रोग दूर करते हैं सहस्त्र गुफाओं में द्रोणचार्य ने साधना की है। इन आध्यत्मिक पर्यटन स्थानों का स्वरूप बदल दिया आज दुनिया ने। आज इन शराबियों और गन्दगी फैलाने वालों ने इन झरनों के पानी को गन्दा किया है। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून सात नदियों का शहर से लेकर पूरे उत्तराखंड की हर एक नदी झरना गंगा मिल गंगा के स्वरूप और भव्य करता है। और हम इस तरह पर्यटन कर नदियों गन्दा कर रहे हैं । आज गंगा दशहरा के पावन पर्व में गंगा किनारे की स्वच्छता पर भी सोचें
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