October 4, 2024

Ajayshri Times

सामाजिक सरोकारों की एक पहल

उत्तराखंड में कला संस्कार देने वाला एक ज्ञानी पण्डित का नाम है डॉ रणवीर सिंह चौहान । उत्तराखंड बनने के दो दशक बाद भी हम संस्कृति के भागीरथों को पहचान नही पाए

उत्तराखंड में कला संस्कार देने वाला एक ज्ञानी पण्डित का नाम है डॉ रणवीर सिंह चौहान । उत्तराखंड बनने के दो दशक बाद भी हम संस्कृति के भागीरथों को पहचान नही पाए

डॉ रणवीर सिंह चौहान एक इतिहासकार , पुरातत्वविद, चित्रकार , रंगकर्मी , नाटककार, फिल्मकार, लेखक , कवि , गीतकार , संगीतकार , गायक, भाषाविद , सामाजिक कार्यकर्ता, संस्कृतिकर्मी और उत्तराखंड राज्य के दो दशक बनने के बाद भी उत्तराखंड में जितने विश्वविद्यालय ऐसे बुद्धिजीवीयों को मानद की डाक्टरेट की उपाधि देने गर्व कब महसूस करेंगे । कब सरकारें ऐसे लोगों पद्म पुरुस्कार के लिए सोचेगी ! ऐसी प्रतिभाओं को राज्यसभा सांसद बनाने कोई नही सोचता ऐसी प्रतिभाओं को और यह वो धरोहरें जिन्होंने संस्कृति का हिमालय खड़ा किया , सिंधु सभ्यता को पढ़ने वाले डॉ रणवीर सिंह चौहान पढ़ने वाले पहले व्यक्ति हैं।गढ़वाली, हिंदी ,संस्कृत , अंग्रेजी और उर्दू में अच्छी पकड़ उर्दू भी सिखाते रहें है लोंगो को।रणवीर सिंह चौहान वो व्यक्ति हैं जिन्होंने संस्कृति पुरोधा मोहन उप्रेती और बजेन्द्र लाल शाह के साथ गीत यात्रा शुरू की । इन दोनों कहने पर गढ़वाल विकासखण्ड के लिए सुवा दूर न जा जुन्याली हो रात गैल्या जैसे लोकप्रिय गीत की रचना की यह गीत न जाने आजतक कितने कैसेट कम्पनियों ने बाजार में उतारा अलग अलग गायक गायिकाओं के कंठ से। गाने वाले प्रसिद्धि पा लेते हैं पर मूल रचनाकार को समाज बिसरा देता है। साठ और सत्तर के दशक से इनके गीत मंचो , ग्रामोफोन ,औऱ रेडियो स्टेशन के विभिन्न कार्यक्रमों में गूंजे । तीन दर्जन से भी अधिक अलग विषयों पर लिखी पुस्तकों के रचियता डॉ रणवीर सिंह चौहान सिर्फ एक नाम नही उत्तराखंड की सभ्यता संस्कृति का एक बड़ा नाम है उनके चित्रों में रंगों में शब्दों में उत्तराखंड रचता बसता है। डॉ रणवीर सिंह चौहान ने उत्तराखंड में विद्यालय रंगारंग कार्यक्रमों से लेकर गढ़देवा विश्वविद्यालय स्तर के वार्षिकोत्सव , रामलीला , रंगमंच में एक लेखक, संगीतकार , गायक ,गीतकार, लेखक, रंगकर्मी के साथ स्टेज के हर शिल्प में उनकी महारथ रही आभूषण, मेकप, वस्त्र विन्यास उत्तराखंड में कला संस्कार देने वाला एक ज्ञानी पण्डित का नाम है डॉ रणवीर सिंह चौहान । रणवीर चौहान वही नाम जिसने झंकार जैसे सांस्कृतिक संस्था अपने गीत और शिल्प से सींचा झंकार वही ग्रुप है जिसने लैंसडाउन और गढ़वाल के विभिन्न स्थानों से लेकर नवाबों के शहर लखनऊ और पंजाब चण्डीगढ़ देशभर के कही जगहों में उत्तराखंड की संस्कृति का परचम लहराया। डॉ रणवीर सिंह चौहान की झंकार वही झंकार संस्था जिसने गढगौरव नरेंद्र सिंह नेगी के शुरुआत में सुर लय ताल शब्द को विस्तार मिला देशभर के मंचो में। इसी झंकार ने प्रसिद्ध हास्य सम्राट घन्नानन्द (घन्ना भाई)कला साहित्य संस्कृति परिषद उपाध्यक्ष पूर्व राज्यमंत्री को भी मंच मिला जो डॉ रणवीर सिंह चौहान जी के शिष्य भी हैं गीतकार रंगकर्मी सतीश कालेश्वरी और भी कई बड़े नामी कलाकार इन मंचो से निकले। डॉ रणवीर सिंह चौहान लिखा और संगीतबद्ध किया लोकप्रिय गीत स्याळी हे बसंती स्याळी गढगौरव नरेंद्र सिंह नेगी और ऑल इंडिया रेडियो की पहली महिला कम्पोजर डॉ माधुरी बड़थ्वाल के युगल स्वरों में भी गुंजा। डॉ रणवीर सिंह चौहान वह विचार जो सोचते हैं समाज में जन्मे सिर्फ आकर चले गये यह जीवन नही है। जीवन पाकर धरती में आकर समाज को देकर जाना समर्पित हो जाना यही जीवन है। पर सवाल हमारा समाज ऐसी प्रतिभाओं क्या दे पाता है! ऐसे भगीरथ जो गंगा बहा रहे हैं धरती में हम गंगा उदगम स्थल गोमुख की पवित्रता दर्शन छोड़ बस हरिद्वार औऱ काशी में डुबकी लगाकर कुम्भ नहा रहे हैं हरिद्वार औऱ काशी भव्यता में हिमालय ग्लेशियर मत भूल जाना। मानवीय जीवन के सभी शिल्प अलंकारो से सुशोभित डॉ रणवीर सिंह चौहान जी को शत शत नमन। आप जैसे पुरुषों की सक्रियता ही देश प्रदेश संस्कृति इतिहास को जिंदा रखती है ।

ऐसे दिव्यपुरुष का साक्षात्कार कर अजयश्री फाउंडेशन गौरवान्वित है। हिमालय दर्शन प्राप्त हुआ जैसे डॉ रणवीर सिंह चौहान जैसे आदिम कद के हिमालय से मिलकर

b
Please follow and like us:
Pin Share

About The Author

You may have missed

Enjoy this blog? Please spread the word :)

YOUTUBE
INSTAGRAM