*देहरादून प्रेस क्लब में डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल जी की जयंती पर गोष्ठी*
18 दिसम्बर कि बड़थ्वाल कुटुंब की ओर से देहरादून प्रेस क्लब में डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल जी की जयंती के मौके पर एक गोष्टी आयोजित की गयी। जिसमें हिंदी साहित्य में डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल के योगदान व कार्यो पर चर्चा की गई। साथ ही ‘मेधावी छात्र प्रोत्साहन कार्यक्रम’ के अंतर्गत वर्ष 2021-22 की बोर्ड परीक्षा में उत्कृष्ट अंक प्राप्त करने वाले बड़थ्वाल कुटुंब के छात्रों को सम्मानित भी किया गया।
इस उपलक्ष्य में लेखिका बीना बेंजवाल जी ने कहा कि डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल जी को नमन करते हुए कहा कि ये मेरा सौभाग्य है। जब मेरा केद्रविद्यालय संगठन में चयन होना था तो साक्षात्कार में मुझसे डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल जी के सम्बंध में ही पहला प्रश्न पूछा गया। और वह साक्षात्कार लगभग 1 घंटे तक चला। उन्होनें बताया कि डॉ. बड़थ्वाल एक आलोचक भी थे। लेकिन अफसोस की बात यह है कि हिंदी व संत साहित्य को ऊंचाईयों तक पहुंचाने के बावजूद भी उन्हें वो स्थान आज तक नही मिला है जिसके वो हक़दार हैं। डॉ. देवेंद्र कुमार सिंह ने अपनी बात शुरू करते हुए कहा कि जब 10 साल पहले मैंने डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल जी पर शोध करना शुरू किया तो मुझे देहरादून के अंदर केवल 2 बड़थ्वाल मिले लेकिन आज ये संख्या बढ़कर 20 हो गयी। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय कवि मैथलीशरण गुप्त को राष्ट्रीय कवि बनाने में 5 लोगों ने विशेष भूमिका निभाई जिसमे डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल भी एक थे। उन्होंने पाली गांव में जन्म लिया काशी विश्वविद्यालय में पढ़े और राजस्थान के निर्गुण संतो पर काम किया है। मुख्य वक्ता प्रो. राम विनय सिंह ने अपनी बात शुरू करते हुए कहा कि हिमालय के एक गांव के एक कमरे में जन्म लेने वाले डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल, जन्मजात साहित्यकार ने काशी में जाकर अपने अतुलनीय ज्ञान से जन मानस को लाभान्वित किया है। उनके साहित्य की बात करे तो आपको पता चलेगा कि संत साहित्य को एक माला में पिरोने का काम डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल ने किया है। उन्होंने बताया कि डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल कहते थे कि संत आध्यात्मिक चेतना का वाहक होता है।
इस कार्यक्रम को करने के पीछे बड़थ्वाल कुटुंब के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए बड़थ्वाल कुटुंब के सृजन कर्ता प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल ने सन्देश में बताया कि इससे डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल के कार्यो और उपलब्धियों को जनमानस तक पहुंचाया जा सकेगा। जिससे समाज व साहित्य में उनके योगदान को समस्त विश्व जान सके।
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