November 30, 2023

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अग्निपथ योजना को लेकर नेपाल में भी विवाद शुरू

अग्निपथ योजना को लेकर नेपाल में भी विवाद शुरू हो गया है. अग्निपथ योजना के तहत नेपाल के युवाओं की भर्ती के लिए भारतीय सेना की रैली टल गई है. 1947 में हुए एक समझौते के तहत, भारतीय सेना में नेपाल के गोरखा सैनिकों को भर्ती किया जाता है. भारतीय सेना में गोरखा सैनिकों की संख्या 40 हजार

 

अग्निपथ’ पर भारत और नेपाल के अलग-अलग सुर, गोरखा भर्तियों पर नहीं बन रही बात

नेपाल के विदेश मंत्री खडका ने भारत के राजदूत श्रीवास्तव को बताया कि अग्निपथ योजना के तहत गोरखा सैनिकों की भर्ती त्रिपक्षीय समझौते के अनुसार नहीं है। तीन देशों के बीच 9 नवंबर 1947 को समझौता हुआ था।

अग्निपथ योजना के तहत भारतीय सेना में गोरखा की भर्तियों को लेकर स्थिति साफ नहीं हो पा रही है। इसी बीच खबर है कि अब नेपाल ने भर्ती प्रक्रिया पर अनिश्चितकाल के लिए रोक लगा दी है। इधर, भारत सेना में गोरखा सैनिकों को शामिल करने को लेकर आशावादी बना हुआ है। आंकड़े बताते हैं कि फिलहाल, गोरखा बटालियनों में गोरखा की संख्या करीब 30 हजार है और इनमें अधिकाश नेपाली हैं। खास बात है कि भारत-ब्रिटेन एवं नेपाल में हुए एक त्रिपक्षीय समझौते के तहत भारत और ब्रिटेन की सेना में गोरखाओं की भर्ती होती आती है।

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल के विदेश मंत्री नारायण खडके ने बुधवार को नेपाल में भारत के राजदूत नवीन श्रीवास्तव से मुलाकात की। उनसे अनुरोध किया कि नई योजना के तहत नेपाली युवकों की भर्ती की योजना को स्थगित कर दिया जाए। विदेश मंत्रालय में हुई मुलाकात के दौरान खडके ने भारतीय राजदूत से कहा कि नेपाल सरकार भारतीय सेना में गोरखाओं की भर्ती को लेकर सकारात्मक रुख रखती है, लेकिन सरकार अन्य प्रमुख राजनीतिक दलों से बातचीत करने के बाद इस विषय पर फैसला लेगी क्योंकि, भारत सरकार ने नई सैन्य भर्ती योजना शुरू की है।

75 साल पुराने समझौते पर नेपाल ने क्या कहा?
खडका ने भारत के राजदूत श्रीवास्तव को बताया कि अग्निपथ योजना के तहत गोरखा सैनिकों की भर्ती त्रिपक्षीय समझौते के अनुसार नहीं है। तीन देशों के बीच 9 नवंबर 1947 को समझौता हुआ था। खबर है कि खडका के अनुसार, राजनीतिक दलों और हितधारकों के साथ मंथन के बाद काठमांडू इस पर अंतिम फैसला लेगा।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि खडका की तरफ से श्रीवास्तव को यह भी बताया गया है कि 1947 के समझौता भारत की नई भर्ती नीति को मान्यता नहीं देता है। उन्होंने कहा कि इस नई व्यवस्था के प्रभाव का आकलन करने की जरूरत होगी। सूत्रों ने कहा गुरुवार से शुरू होकर 29 सितंबर तक नेपाल के अलग-अलग केंद्रों पर चलने वाले प्रक्रिया को अनिश्चितकाल के लिए रोक दिया गया है।

क्या सोच रहा है भारत
केंद्र सरकार द्वारा जून में अग्निपथ योजना के तहत सेना में चार साल के लिए अग्निवीरों की भर्ती को लेकर नेपाल की तरफ से सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है। जिसके चलते नेताल में बुटवाल और धारण में 25 अगस्त और एक सितंबर को प्रस्तावित भर्तियां टाल देनी पड़ी हैं। इस बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को कहा कि हम काफी लंबे समय से भारतीय सेना में गोरखा सैनिकों की भर्ती करते रहे हैं। हम आगे भी गोरखा सैनिकों की अग्निपथ योजना के तहत भर्ती करने को लेकर आशान्वित हैं।

बागची से काठमांडू पोस्ट में प्रकाशित उस खबर के बारे में पूछा गया था, जिसमें भारत ने नेपाल सरकार से गोरखाओं की भर्ती को लेकर उसका रुख पूछा है। लेकिन नेपाल सरकार इस मुद्दे पर असमंजस में है। उसकी तरफ से अभी कोई जवाब नहीं दिया गया है।

ये भी हैं नेपाल की चिंताएं
रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल में गोरखा सैनिकों को लेकर कई तरह की चिंताएं हैं। इनमें 4 साल बाद रिटायर होने और बगैर नौकरी के इन युवाओं के समाज पर प्रभाव की बात भी शामिल है। अग्निपथ योजना और गोरखा भर्तियों पर इसके प्रभाव समेत कई मुद्दों पर चर्चा करने जा रही नेपाल की संसद की स्टेट रिलेशन्स कमेटी को भी पर्याप्त सदस्यों के नहीं पहुंचने के चलते स्थगित कर दिया गया।

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