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चकड़ैत का क्या था गढ़वाल कनेक्शन
#चकड़ैत गढ़वाल राजवँश में एक टीम होती थी जो सच झुठ फैलाने काम करती थी#
जिनको इतिहास में श्रीनगर के चकड़ैत नाम से जाना जाता है चकड़ैत का अर्थ होता इधर उधर चक्कर काटने वाला संस्कृत भाषा के शब्द चक्रीन से चकड़ैत शब्द बना । चक्रीन का एक अर्थ चक्रवती होता है और एक अर्थ होता है इधर उधर चक्कर काट खबर फैलाने वाला इसलिए चकड़ैत को संचारी भी कहा जाता है । चकड़ैत मतलब सन्देश पहुंचाने वाला भी होता है । किसी मुंडेर में कौवे की तरह कांव कांव कर चक्कर काटने वाले को ही चकड़ैत कहते है आज भी श्रीनगरा कौवा जैसी कहावत प्रसिद्ध है और होली में आज भी लोग गीत गाते है श्रीनगर की होली में तेरे बृज में कौवे बहुत है कां कां शोर मचाये जैसे गीत आज भी गाये जाते है।
चकड़ैत कभी गढ़वाल राजवंश एक पद होता था । यह गढ़वाल राजवंश की ऐसी टीम थी जो राजाओं के पक्ष में झूठ को सच सच को झूठ बताकर एक खबर को समाज मे फैलाते थे। चकड़ैत के सहारे राजाओं को अपना मत रखने में बहुत सहूलियत होती थी। ये चकड़ैत गढ़वाल की राजधानी श्रीनगर में रहते थे, और राजधानी में होती कोई भी घटना राजा तक पहुँचा थे। समझ लीजिए एक तरह प्रोपगेंडा फैलाने काम श्रीनगर में चकड़ैतो का होता था । गढ़वाल की कही ऐतिहासिक घटनाएं सीधे तौर में चकड़ैतो से जुड़ी रही । गढ़वाल राजवँश श्रीनगर के चकड़ैतो की नियुक्ति कुमाऊ के राजवंश अल्मोड़ा राजधानी में हुई बाद में अल्मोड़ा के मूल निवासियों को चकड़ैती काम दिया गया कुमाऊँ अल्मोड़ा में। गढ़वाल राजधानी श्रीनगर गढ़वाल में चकड़ैतो की सच झुठ में गढ़वाल के इतिहास में कही घटनाएं है।
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