कला मर्मज्ञ ज्ञानेंद्र कुमार
राष्ट्रीय अंतरास्ट्रीय पटल में पहचान रखने वाले चित्रकार ज्ञानेंद्र कुमार कई पुरूस्कारों सम्मानित हैं । वर्तमान देहरादून उत्तराखंड में रहते हैं । 2018 में उत्तराखंड गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया इस धरोहर को ।।
कि ज्ञानेंद्र कुमार न सिर्फ चित्रकार और मूर्तिकार ही नहीं बल्कि ख्याति प्राप्त गायक भी हैं और अच्छे कवि भी हैं कला साहित्य संगीत कई ललित कलाओं समावेश उनके अंदर हैं वो सम्पूर्ण कला अकादमी या कला विश्वविद्यालय हैं शिल्प के। ज्ञानेंद्र का भजन ‘दुख चंदन होता है, जिसके माथे पर लग जाता है पावन होता है’ आज भी लोगों की जुबान पर है। ज्ञानेंद्र कुमार के कार्यक्रम प्रधानमंत्री आवास और उप राष्ट्रपति आवास सहित कई स्थानों पर हो चुके हैं। दूरदर्शन पर 70 के दशक में उनकी गजल ‘जिंदगी सबको मिली हो यह जरूरी तो नहीं’ आज भी लोगों की जुबान पर है।
गुरूदेव रविन्द्र नाथ टैगोर के जिन शिष्यों ने राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय कला की धूम मचाई है,उनमें देहरादून के ज्ञानेन्द्र कुमार का नाम शामिल है। एम.ए .दर्शन शास्त्र करने से पहले ज्ञानेंद्र कुमार ने 1964 में ललित कला शिल्प और संगीत की शिक्षा गुरूदेव रवीन्द्र नाथ ठाकुर की विश्व विख्यात संस्था विश्व भारती,विश्व विद्यालय शांति निकेतन से प्राप्त की। कला की भूख ने ज्ञानेंद्र कुमार को यहीं चुप नहीं बैठने दिए।
उन्होंने मूर्तिकला और चित्रकला की नई संभावनाओं पर हाईवेकम कॉलेज इंग्लैंड से शिक्षा प्राप्त की। अन्तर्राष्ट्रीय ग्रीष्मकालीन ललित कला अकादमी आस्ट्रिया द्वारा आयोजित अमूर्त चित्रकला संगोष्ठी में भाग लेकर देश को गौरवान्वित किया। ज्ञानेंद्र कुमार जो कला,संगीत और गीत की त्रिवेणी माने जाते हैं हाथ में छेनी उठा लेते हैं तो मूर्तिकार बन जाते हैं और तूलिका उठा लेते हैं तो चित्रकार बन जाते हैं। ज्ञानेंद्र कुमार ने 1965 से लेकर 2001 तक भारतीय वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) में मुख्य कलाधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दी और इसी बीच संस्थान की पर्यावरण पर प्रकाशित वन अनुसंधान पत्रिका का 1990 से 2001 तक संपादन किया।
10 वर्षों तक कला परिषद उपाध्यक्ष के पद पर कार्य चुके ज्ञानेंद्र कुमार गत 18 सालों से स्वतंत्र रूप से राष्ट्रीय स्तर पर शिल्पन,चित्रण,गायन और लेखन में कार्यरत हैं।
दिल्ली दूर दर्शन के प्रमुख भजन गायक के रूप में ख्याति प्राप्त ज्ञानेंद्र कुमार आईसीसीआर दिल्ली द्वारा आयोजित कार्यक्रमों की मुख्य कलाकार होते हैं। अब तक ज्ञानेंद्र कुमार ने फाइन आर्ट्स अकादमी कलकत्ता,ललित कला अकादमी नई दिल्ली, एआईएफएक्स नई दिल्ली,आईसीसीआर नई दिल्ली,उत्तरांचल कला परिषद देहरादू, कला अनंत सोसायटी देहरादून,कला आयाम जेपी रेजीडेंसी मसूरी, आधवन ऑर्ट गैलरी देहरादून,इंडो गल्फ सेंटर बेंगलूरू, आईसीसीआर नई दिल्ली में दो दर्जन से अधिक प्रदर्शनियां आयोजित की जा चुकी हैं,जिनमें एकल और जुगल प्रदर्शनियां शामिल हैं।
ज्ञानेंद्र कुमार की एक कृति जो 2013 की आपदा पर आधारित है में केदारधाम के ध्वंस का चित्रण है यह खासी चर्चाओं में रही है। इस चित्र में ज्ञानेन्द्र कुमार ने पहले के केदारधाम,आपदा के बाद केदारधाम और वर्तमान के केदारधाम के अनुकृति बनाई है,जो काफी दिनों तक कला दीर्घाओं में अच्छी खासी लोकप्रियता हासिल की। वैसे अमूर्त कला के प्रमुख चित्रकार के रूप में चर्चित ज्ञानेंद्र कुमार मानते हैं कि कला उन्हें जीने की ललक देती है। कला के माध्यम से ही वे सामाजिक कुटेवों को दूर करने का गुरूतर कार्य कर रहे हैं। यही कारण है कि वे निरंतर कला साधना में जुटकर समाज को जीवंत बनाने का कार्य कर रहे हैं।
ज्ञानेंद्र कुमार जी कला संसार को देखने समझने के आप उनकी वेबसाइट में भी विजिट कर सकते हैं
www.gkumarart.com
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