आईफोन बनाने वाली दुनिया की मशहूर कंपनी एप्पल का लोगो आधे खाए सेब जैसा क्यों है और कंपनी का नाम एप्पल रखने का विचार कहां से आया? दरअसल, एप्पल कंपनी के इस लोगो का उत्तराखंड के अल्मोड़ा में भवाली मार्ग पर स्थित कैंची धाम के बाबा नीम करोली से गहरा रिश्ता है। बताया जाता है कि जब एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स अपनी कंपनी के लगातार घाटे में रहने के कारण अवसाद के दौर से गुजर रहे थे तो 1973 में मानसिक शांति की तलाश में वे अपने मित्र डैन कोटके के साथ भारत भ्रमण करते हुए अल्मोड़ा में बाबा नीम करोली के दर्शन करने पहुंचे। लेकिन 11 सितंबर, 1973 को बाबा के शरीर त्यागने के कारण वे उनके दर्शन नहीं कर पाए। मगर मंदिर से उन्हें प्रसाद के रूप में एक खाया हुआ सेब मिला। बाबा के आश्रम से प्रेरणा तथा भक्ति का ज्ञान लेकर अपने देश लौटे स्टीव जॉब्स ने उसी खाए हुए सेब को अपनी कंपनी को लोगो बनाकर कंपनी को एप्पल नाम दिया। कुछ ही सालों बाद 1980 में एप्पल ने चमत्कारिक रूप से दुनिया में मोबाइल क्रांति का डंका बजा दिया और कंपनी चल निकली।
नीम करोली बाबा के आश्रम में स्टीव जॉब्स को मिला ज्ञान: साल 1974 में स्टीव जॉब्स लीक से हटकर कुछ करना चाह रहे थे, तभी उनके किसी दोस्त ने सलाह दी कि वे भारत जाएं. इसी साल स्टीव जॉब्स अपने दोस्त के साथ उत्तराखंड पहुंचे. यहां वे कई मंदिरों और आश्रम में रहे. इसी दौरान वे नैनीताल स्थित नीम करौली बाबा के कैंची आश्रम पहुंचे. उस समय तक नीम करौली बाबा की मौत हो चुकी थी, लेकिन उन्होंने यहां ‘ऑटोबायोग्राफी ऑफ एन योगी’ नामक किताब पढ़ी. स्टीव जॉब्स खुद कह चुके हैं कि इस किताब को पढ़ने के बाद उनके विचार बदल गए और जीवन को देखने का उनका नजरिया बदल गया.
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