2 फरवरी सुरीला दिवस उत्तराखंड की नजर से
जीत सिंह नेगी और गोपाल बाबू गोस्वामी का जन्मदिवस उत्तराखंड एकता का सुरीला दिन
2 फरवरी एक बड़ा और सुरीला दिन है उत्तराखंड गीत संगीत के माध्यम से आज उत्तराखंड लोक से जुड़े ऐसे गायकों का जन्मदिवस है जिन्होंने उत्तराखंड के गढवाली कुमाऊनी और लोकगीतों को रिकॉर्ड कर सहेजा या उत्तराखंड के लोक संगीत के रिकार्ड्स का श्रीगणेश करने वालों में फेहरिस्त शामिल लोक स्वर , आज 2 फरवरी जहाँ कुमाऊनी रेडियो से कुमाऊनी गीतों को पहचान दिलाकर उत्तराखंड की पहली ऑडियो कैसेट गाने वाले गायक स्वर्गीय गोपाल बाबू का जन्म दिवस है जिन्होंने कुमाऊनी गीत संगीत के माध्यम से उत्तराखंड संगीत को ऑडियो कैसेट में एक पहचान दी साथ ही आज भी गोपाल बाबू के गीत हर नये कंठ मे सजे फ्यूजन में ऐसे कलावन्त को नमन और आज ही दो फरवरी उत्तराखंड संगीत को रिकॉर्ड करने वाले पहले गायक जीत सिंह नेगी जी का जन्मदिवस भी है जीत सिंह नेगी जी पहले गायक है जिन्होंने एचएमवी म्यूजिक कंम्पनी के माध्यम से मुंबई में पहला ग्राफोफ़ोन निकाला गढ़वाली गानों से सजा यह गीत 40 के दशक के अंतिम वर्षों में रिकॉर्ड हुए और 50 के दशक में लोकप्रिय हुए इस रिकॉर्ड के गीत तू होली बीरा आज भी लोकप्रिय है यह गीत जीत सिंह नेगी जी मुम्बई की सड़कों में लिख डाला था । और 1955 के दौर में रेडियो में गढवाली कुमाउनी गीतों का प्रसारण हुआ उत्तरायणी प्रोग्राम के तहत जो फौजी भाइयों के बीच भी काफी लोकप्रिय हुआ । स्टेज ग्राफोफ़ोन और रेडियो से गढवाली और उत्तराखंड से जुड़े गीत संगीत को पहचान देने वाले लोकगायक जीत सिंह नेगी बॉलीवुड की फिल्मों में सहनिद्रेशन भी किया गढवाली साहित्य में अपनी लिखित पुस्तकों और नाटकों और गीतों का प्रकाशन कार्य भी किया गढवाली नाटकों और नृत्य नाटिकाओं का मंचन भी किया , उत्तराखंड गीत संगीत कला साहित्य रंगमंच को पहचान दिलाने वाले गायक गीतकार जीत सिंह नेगी जी को हार्दिक शुभकामनाएं , पर एक बात मन मे हमेशा रहती उत्तराखंड रिकॉर्ड संगीत की शुरुआत करने वाले गायक जीत सिंह नेगी जी एक भी रिकॉर्ड नही है उपलब्ध जीत सिंह नेगी के गीतों को दुबारा जनमानस में लोकप्रिय करने का कार्य गढगौरव नरेंद्र सिंह नेगी जी 2006 मे किया था उन्होंने तू होली बीरा ऑडियो कैसेट में जो टी सीरीज से आयी थी जीत सिंह नेगी जी के गीतों को नये रंग में गाया साथ ही जीत सिंहः नेगी के बात विचार भी उस ऑडियो में रिकॉर्ड हुयी थी । आज नरेंद्र सिंह नेगी के कण्ठ में जीत सिंह नेगी के गीत सुनने को तो मिलते है पर जीत सिंह के रिकॉड सुनने को नही मिलते है । यह सवाल भी उठता है जीत सिंह नेगी मंचो और रेडियो से गाते रहे किन्तु 80 और 90 के दशक में जब उत्तराखंड गीत संगीत में ऑडियो संगीत का स्वर्णिम काल था उस दौर में जीत सिंह नेगी जी के गीत ऑडियो क्यों नही आये होंगे? अगर ऐसा हुआ होता तो आज यू यू टुयूब पर जीत सिंह नेगी जी के गीत भी होते । जो भी है 2 फरवरी ऐसा दिन है जहाँ उत्तराखंड गीत संगीत के ऐसे गायकों का जन्म दिवस है जिन्होंने गढ़ कुमाऊ को गीत संगीत पहचान दी है , गोपाल बाबू गोस्वामी जी जीत सिंह नेगी जी के अवतरण दिवस में दोनों दिवंगत विभूतियों को नमन ।

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