गढ़वाली गीत संगीत नृत्य की यह झलक गढ़वाली संस्कृति के लिए शुभ संकेत नहीं है। :नरेंद्र कठैत
गढ़वाली गीत संगीत नृत्य की यह झलक गढ़वाली संस्कृति के लिए शुभ संकेत नहीं है।
यह गढ़वाली संस्कृति में लैन्टाना और गाजर घास की तरह घुसपैठ है। इसे अविलंब रोका जाना चाहिए।
उम्मीद है गढ़वाली संस्कृति से जुड़े इस गाने के लेखक, संगीतकार,डायरेक्टर, कलाकार और प्रोड्यूसर ने हरिद्वार में गंगा स्नान के बाद ही पुनः पहाड़ की ऊंचाई नापनी शुरू की होगी।यदि इसी फूहड़ता के मद में चूर संस्कृति के ये फील्ड मार्शल गंगा में डुबकी लगाना भूल ग्ए हैं तो कृपया प्रायश्चित स्वरूप गंगा जल अवश्य छिड़क लें।
ताकि आचरण की सभ्यता के साथ हमारी संस्कृति भी सुरक्षित रहे।
नरेंद्र कठैत की कलम से
More Stories
सिलक्यारा टनल में फंसे सभी 41 श्रमिकों के सकुशल बाहर निकलने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अभियान में जुटे समस्त बचाव दल को अपनी शुभकामनाएं दी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रमुख सचिव डॉ.पी के मिश्रा एवं सचिव गृह मंत्रालय, भारत सरकार अजय भल्ला ने आज सिलक्यारा, उत्तरकाशी में टनल रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया
धामी ने आज मुख्यमंत्री आवास में उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से कनिष्ठ सहायक के पद पर चयनित 16 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र प्रदान किए