गढ़वाली गीत संगीत नृत्य की यह झलक गढ़वाली संस्कृति के लिए शुभ संकेत नहीं है। :नरेंद्र कठैत
गढ़वाली गीत संगीत नृत्य की यह झलक गढ़वाली संस्कृति के लिए शुभ संकेत नहीं है।
यह गढ़वाली संस्कृति में लैन्टाना और गाजर घास की तरह घुसपैठ है। इसे अविलंब रोका जाना चाहिए।
उम्मीद है गढ़वाली संस्कृति से जुड़े इस गाने के लेखक, संगीतकार,डायरेक्टर, कलाकार और प्रोड्यूसर ने हरिद्वार में गंगा स्नान के बाद ही पुनः पहाड़ की ऊंचाई नापनी शुरू की होगी।यदि इसी फूहड़ता के मद में चूर संस्कृति के ये फील्ड मार्शल गंगा में डुबकी लगाना भूल ग्ए हैं तो कृपया प्रायश्चित स्वरूप गंगा जल अवश्य छिड़क लें।
ताकि आचरण की सभ्यता के साथ हमारी संस्कृति भी सुरक्षित रहे।
नरेंद्र कठैत की कलम से
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