सातवीं पास ढोल संस्कृति के प्रोफेसर सोहन लाल बने डॉक्टर
ज्ञान की पराकाष्ठा वर्षों की साधना तप जप किसी एकेडमिक ज्ञान से कहीं बढ़ा होता है। ढोलवादक सोहन जो सिर्फ सातवीं तक पढ़े हैं पर उनके गढवाली गीत संगीत संस्कृति ढोल सागर के ज्ञान के आगे देश और दुनिया की यूनिवर्सिटी उनको विजिटिंग प्रोफेसर बनाने के लिए लालायित रही । उनके ज्ञान का लाभ लेने के लिए सिनसिनाटी यूनिवर्सिटी उनको नामांकित किया विजिटिंग प्रोफेसर के लिए सिनसिनाटी यूनिवर्सिटी स्टीफन फ्योल सोहन लाल जी घर रहकर तीन महीने ढोल सीखा उनको गुरु बनाया, मैक्वरी यूनिवर्सिटी ऑस्ट्रेलिया के प्रो एंड्रीयू अल्टर को भी ढोल सिखाया है साथ ही एचनबी गढवाली यूनवर्सिटी में भी सोहन लाल विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में सेवा देते रहे हैं ।गढ़वाल यूनवर्सिटी के प्रो डीआर पुरोहित फोक फैकल्टी में भी सोहन लाल जी का लम्बा सानिध्य रहा। गढवाली संगीत औऱ ताल गायन की गहरी समझ और पांडित्व रखने वाले सोहन लाल टिहरी गढ़वाल के पुजार गांव के रहने वाले हैं। उनको चंद्रवदनी मंदिर में ढोल की ताल बजाते सुनाते देखा जा सकता है अक्सर साथ ही विभिन्न सांस्कृतिक क्रियाकलाप शादी विवाह सभी जगह सोहन लाल जी की ढोल की पैठ इस लोक संस्कृति गहरी जुड़ी है उनको सभी जगह सुना जा सकता है उत्तराखण्ड में सोहन लाल जी से सीख आज ढोल संस्कृति को बढ़ावा देती कहीं टीमें इस काम को विस्तार दे रही हैं ।सोहन लाल जी यूंतो बचपन से ढोल ही बजा रहे हैं ढोल के काम इतने गहरे जुड़ गए बीच मे पढ़ाई भी छूट गयी पर कहते ज्ञान किसी संस्थागत क्लास का विषय नहीं है ज्ञान होगा देश दुनियाभर के विश्वविधालय आपको झुककर सलाम करेंगे औऱ ज्ञान अर्जन करेंगे कैरियर शुरुआत 1995 में अंजनीसैण में भुवनेश्वरि आश्रम ट्रस्ट के कार्यक्रम ढोली रहेगा तो ढोल बजेगा कार्यक्रम से जुड़ ड्रमर के तौर में नियुक्त हुए उसके बाद रिच संस्था में ढोल नाद कार्यक्रम से जुड़े और इन सभी क्रियाकलापों के साथ सोहनलाल जी का ढोल देश दुनिया तक पहुंचा। यह गर्व की बात सोहन लाल जी का पहला बड़ा मंच भुवनेश्वरि आश्रम ट्रस्ट रहा और आज दसवें दीक्षांत समारोह मे एचनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय से डॉक्टर की मानद उपाधि से सम्मानित किये गये स्वामी मन्मथन ऑडिटोरियम में और कितना अद्भुत संयोग स्वामी मन्मथन ने विश्वविद्यालय आंदोलन अहम भूमिका निभाई ,भुवनेश्वरि आश्रम ट्रस्ट स्वामी मन्मथन बनाया समाजिक के हित के लिए सोहन लाल जैसी प्रतिभाएं आज विश्व पटल में पहचान पा रही हैं गढ़वाल की संस्कृति को विस्तार मिल रहा है तब स्वामी मन्मथन जैसे दिव्य पुरूष का अतुलनीय योगदान भी अति पूजनीय हो जाता है। गढ़वाल विश्वविद्यालय से डॉक्टर बनने के बाद सोहन लाल जी यह बाद भी बहुत गहरी लगी मीडिया वार्ता में मेरा सब्जेक्ट गढवाली है तो मैं मीडिया से गढवाली में बात करूंगा तभी लगेगा गढवाली के लिए सम्मान हुआ इस वक्तव्य में भाषा संस्कृति के प्रति उनकी गहरी आस्था इसके दर्शन होते हैं ।
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