आजकल समाज सेवा ऐसी क्यों हो गयी है।
आजकल समाज सेवा ऐसी क्यों हो गयी है। जिसमें सामाजिक सेवा करने वाले व्यक्ति हर सामाजिक सेवा को शुरुआत में निस्वार्थ भाव से समाज में दिन रात तत्पर रहने वाली होती है। सामाजिक , धार्मिक , सांस्कृतिक, साहित्यिक, शैक्षिक हर एक जगह सेवा के लिए वो तैयार रहता फिर कुछ समय बात यही निस्वार्थ सेवा राजनीतिक महत्वकांक्षी हो जाती है। तब हर व्यक्ति यही जवाब होता जब हम खुद राजनीति में आयेंगे और समाज में और बेहत्तर काम कर सकेंगे अच्छे लोगों राजनीति में आना चाहिए। पर सवाल हर सामाजिक व्यक्ति की निस्वार्थ भावना एक दिन राजनीतिक क्यों हो जाती है वर्तमान में ज्यादातर सामाजिक सेवा के लिए राजनीति में आना क्यों जरूरी हो जाता जब सामाजिक कार्य निस्वार्थ भाव से होते हैं
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