सावधान न्यू लक्ष्मी बुक डिपो( बुक वाटिका )कर रहा छात्रों से फ़्रॉड
देहरादून। देहरादून मोती बाजार ऑपोजिट कोतवाली में स्थित न्यू लक्ष्मी बुक डिपो शॉप ने ग्राहक के साथ लेन देन मे की भारी लापरवाही इसको भी एक तरह की धोखाधड़ी कहते हैं । मामला इस तरह की कालेज छात्रा श्रुति शर्मा 28 अगस्त 2022 को शाम 6 .30 बजे एक बुक लेने जाती है। और उस वक्त बुक शॉप वाले के पास नही होती है, दुकानदार कहता आप पेमेंट कर दीजिए एक दिन में आपके घर मे होम डिलीवरी कर देंगे बुक मंगवाकर । औऱ कस्ट्मर उसी वक्त कार्ड स्वाइप कर ऑनलाइन पेमेंट कर देता है । बुक का बकायदा बिल 2650 आता है। और स्वाइप करने के बाद जो रसीद मिलती गणपति इंटरप्राइजेज की मिलती है। बाकी अलग से कोई शॉप का बिल नही दिया गया कस्टमर को दुकानदार की तरफ से ।बिल के बदले दुकानदार अपना विजिटिंग कार्ड पकड़ा दिया ,और उसके पीछे साइन कर दिए कोई दिक्कत हो तो यह दिखा देना । किंतु अगले दिन बुक की डिलीवरी नही हुई । और पिछले 1 हफ्ते से श्रुति कई बार चक्कर काट चुकी है और शॉप वाले को घर से फोन कर पूछ चुकी है ।की उसकी बुक कब मिलेगी वो हर बार चिकनी चुपड़ी बाते कर उसको गुमराह कर रहा है तब ठीक आज सातवे दिन उससे बात करने की कोशिश की तो पहले तो उसने बात ही नही की पर जब उसके दुकान पर काम करने वालो को धमकाया गया तो उन्होंने अपने दुकान के मालिक से बात करवाई तो भी वो गूगल पे करने को बोलने लगा पर छात्रा को और उसके परिजनों को उस पर विश्वास नहीं हो रहा था ।उन्होंने कैश देने की ही जिद्द की बावजूद इसके की छात्रा की मां कैंसर के इलाज के कारण काफी कमजोर थी। तब भी उसने उन्हें दोपहर 3 बजे आने को कहा पलटन बाजार में मोती बाजार कोतवाली पर गर्मी में उन्हें आना कितना मुश्किल होता फिर भी उसने इस प्रकार उन्हें परेशान करने का प्रयास किया ।जैसे उनकी बेटी को कर रहा था। पर वो अपने शरीर से असहाय वही बैठ गई।
उसी समय वहा इस बुक वाटिका /न्यू लक्ष्मी बुक डिपो वाले के सताए एक छात्र मनीष पी सी एस की तैयारी करने वाला भी आया जिसने पिछले एक महीने से एडवांस 1760 रुपए जमा करा रखे थे ।एडवांस में एनसीईआरटी की किताब के लिए जो उसे अभी तक नही मिली थी समय कीमती होता है ।उसकी पढ़ाई प्रभावित हो रही थी। लेकिन उसको भी इस शॉप का मालिक एक महीने से चक्कर कटवा रहा न बुक दे रहा है ।और न ही पैसे इसी प्रकार एक छात्रा जो एमबी बी एस की छात्रा है ।उसे भी बुक आ जाने का झांसा दे ।कर एडवांस पैसे जमा करवा लिए और उसको बिना बुक के पेपर देने पड़े न्यूज बनने तक हंगामा होने के कारण श्रुति शर्मा और दिव्या के पैसे तो दिए जा चुके थे। किंतु मनीष जो एक सीधा सादा युवक है और पहाड़ से आकर यहां अकेला पढ़ रहा है ।उसे एक महीना होने पर भी एक दिन यानी 4 सितंबर सुबह का समय दे दिया है ।उसको तब भी पैसे मिलेंगे या नहीं पता नही …… ।पर कोई न्याय की जानकारी रखने वाले बुद्धिजीवी बताएंगे कि इस दुकानदार का अपराध किस श्रेणी में आता है। पैसे जिनके मिल गए है ।और जिनके नही मिले वो सब जिस मानसिक यातना से गुजरे या गुजर रहे है उस का खामियाजा कौन भुगतेगा क्या किसी न्यायिक प्रणाली में इनके ऊपर हुए अन्याय की सजा है ।या आगे किसी श्रुति या किसी मनीष या दिव्या को ये सब न भुगतना पड़े या अभी और भी होंगे। उस दुकानदार के सताए हुए ? ये न्यूज उन सबके लिए एक सबक है ।जो ऐसे दुकानदारों पर भरोसा कर स्वयं के लिए मुसीबत मोल लेते है। जागिए खुद के लिए और सावधान ऐसे लोगो से।
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