
सिंह जी के जीवन दर्शन से जुड़ी बातें भजन सिंह सिंह जी के विवाह में थे सिर्फ दो बराती उन्होंने नही किया था अपनी पुत्रियों का कन्यादान दान
भजन सिंह *सिंह *एक वीर सैनिक ,एक सामाजिक कार्यकर्ता, एक शोधकर्ता , एक इतिहासकार, पुरात्वविद , एक साहित्यकार, एक कवि एक खोजकर्ता कही प्रतिभाओं के धनी व्यक्ति थे ।
भजन सिंह ने कही हिंदी कविता भी लिखी है ।गढवाली साहित्य में भी उनकी लिखी कविताओ को आज तक याद किया जाता है । गढवाली साहित्य में भजन सिंह ने कविताओ के नये विषय और प्रतिबिम्ब स्थापित किये थे । सिंह नाद और सिंह सतसई जैसे गढवाली काव्य ग्रन्थ आज भी गढ़वाली साहित्य को मजबूती दे रहे है । गढवाली साहित्य में एक युग ही सिंहः युग के नाम से जाना जाता है ।
भजन सिंह नई सोच के व्यक्ति थे । वो उस दौर में विधवा से विवाह करना चाह रहे थे । लोक लाज से कोई भी विधवा और समाज तैयार नही हुआ , वो उस दौर में भी समाज के से आगे सोचते थे । और सामाजिक बुराईयों और परिवतर्न के लिए जाने जाते थे ।
सिंह जी ने जब अपना विवाह किया उनके विवाह सिर्फ दो बराती थे एक वो स्वयं सिंह दूसरा उनका पुरोहित शादी में सिर्फ सवा रुपया का खर्चा आया जो दान पण्डित जी का था बाकी कोई खर्चा शादी में नही हुआ।
गढ़वाली साहित्य के सिंह पुरुष भजन सिंह सिंह जिन्होंने कभी कन्यादान नहीं किया। अपनी लड़कियों के विवाह में उनकी सोच थी कन्या दान जैसी कोई चीज नहीं है। क्योंकि दान के बाद कोई भी चीज से मोह भंग हो जाता है किन्तु मेरी बेटियां तो हमेशा मेरी रहेगी फिर दान कैसा उन्होंने कन्या दान जैसी रश्म अपनी बेटियो विवाह में नहीं की ।
पौड़ी गढ़वाल कोट ब्लॉक ग्राम कोटसाड़ा के रहने वाले भजन सिंह जी ने आधी रात में भी अपने घर मे कुंडी कभी नही लगाई दरवाजे में, वो दरवाजे खोलकर रखते थे । लोग उनको कहते थे शेर आ जायेगा दरवाजा क्यों नही लगाते ,वो कहते थे मैं खुद सिंह हु और सिंह को सिंह से कैसा डर , सिंह से कोई डर नही ।
नई सोच के भजन सिंह सिंह उत्तराखंड राज्य के गौरव है ऐसी धरोहर को नमन ।
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