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पृथ्वी
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गोल सी मोल सी
है जिसकी छवि
जिसका रूप रंग
अंग अंग हर ढंग
रवि से खिलता है
वो चांद सी चमकती है
वो अपनी पृथ्वी है
सब ग्रहों में श्रेष्ठ है
सर्वश्रेष्ठ है
गोरी है सांवली है
हरि है भूरी है
माटी फूल
पाती वनस्पति है
गोल सी मोल सी
है जिसकी छवि
जहाँ चमकता रवि
गोल है मोल है
पर अनमोल है
जीवन है इसमें
जल है इसमें
वायु है इसमें
देखा है क्या
इतना
खूबसूरत और किसी मे
पर पहुंचा रहा अधिकाँश
इन्शान इस पर ठेस
कौन है वो राक्षस भेष
जो कर रहा पृथ्वी की
हवा पानी गन्दी
जीवन कर रहा शून्य
क्या मिल सकता है उसे
किसी जन्म में पुण्य
जो कर रहा शून्य
क्या मिल सकता है
उसे किसी जन्म में पुण्य
जो कर रहा
पृथ्वी में जीवन शून्य ।
रचना ………शैलेन्द्र जोशी
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