November 4, 2024

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पीएम मोदी ने संसद भवन की नई बिल्डिंग की छत पर साढे छह मीटर ऊंची कांसे का राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ का अनावरण किया

पीएम मोदी ने संसद भवन की नई बिल्डिंग की छत पर साढे छह मीटर ऊंची कांसे का राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ का अनावरण किया

पीएम मोदी ने संसद भवन की नई बिल्डिंग की छत पर साढे छह मीटर ऊंची कांसे का राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ का अनावरण किया है. इस स्तंभ का निर्माण दो हजार से ज्यादा कर्मचारियों ने किया है. अनावरण के दौरान पीएम मोदी निर्माण में हाथ बंटाने वाले लोगों से बात भी की. इस मौके पर पीएम मोदी के साथ ओम बिरला समेत भारतीय जनता पार्टी के कई दिग्गज नेता भी मौजूद रहे. देखें कार्यक्रम की तस्वीरें. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आजतक से बात की और बहुत ही उत्साहित लहजे में बताया था कि अगला शीतकालीन सत्र नए संसद भवन में करवाने का लक्ष्य रखा गया है.

वजन-9.5 टन, मैटेरियल- कांस्य… ऐसा है नई संसद का ये खास अशोक स्तंभ, इस खास तरीके से किया गया तैयार
यह राष्ट्रीय स्तंभ संसद भवन की छत पर बना है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन (New Parliament) के निर्माण कार्य का जायजा लिया. साथ ही इस दौरान नए संसद भवन में लगे अशोक स्तंभ का अनावरण भी किया. पीएम मोदी की ओर से अशोक स्तंभ का अनावरण करने के बाद इस खास और भव्य अशोक स्तंभ की चर्चा की जा रही है. वैसे तो आप पीएम मोदी के अनावरण कार्यक्रम की तस्वीरों से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ये कितना भव्य है, लेकिन इसकी खासियत जानकार आप हैरान रह जाएंगे. दरअसल, भारत में इस तरह का और इस मैटेरियल से बना कोई भी दूसरा अशोक स्तंभ नहीं है. इसे भारत में अभी तक का सबसे भव्य और विशाल अशोक स्तंभ (Ashok Stambh in Parliament)माना जा रहा है.

ऐसे में जानते हैं कि आखिर इस राष्ट्रीय प्रतीक में क्या खास है और यह भारत के अन्य अशोक स्तंभ से किस तरह अलग है. तो जानते हैं इस अशोक स्तंभ से जुड़ी खास बातें, जो इसकी भव्यता का प्रमाण साबित हो रही है.

इस राष्ट्रीय स्तंभ में क्या है खास?
यह राष्ट्रीय स्तंभ संसद भवन की छत पर बना है, इस वजह से अपने आप खास है. इसके साथ ही इसका वजन 9500 किलो बताया जा रहा है यानी यह करीब 9.5 टन का है, अब आप सोच सकते हैं कि यह कितना खास है.
वहीं, अगर इसकी विशालता की बात करें तो यह 6.5 मीटर ऊंचा है. इतने ऊंचे इस अशोक स्तंभ को सहारा देने के लिए इसके आसपास करीब 6500 किलो की स्टील की एक सरंचना भी लगाई गई है ताकि यह मजबूती से अपने स्थान पर टिका रहे.
यह शुद्ध कांस्य से बनाया गया है, ऐसे में कहा जा सकता है कि इसकी लागत भी काफी ज्यादा है. माना जा रहा है कि इस पर लगभग एक हजार करोड़ रुपए का खर्चा आया है. हालांकि, इसकी आधिकारिक जानकारी अभी सामने नहीं आई है.
कैसे बनाया गया है?
आपने यह तो जान लिया कि यह कितना भव्य है, लेकिन इसे भव्य बनाने के पीछे काफी मेहनत भी है. अब जानते हैं इसे किस तरह तैयार किया गया है… बताया जा रहा है कि इसका काम आठ अलग-अलग चरणों से पूरा किया गया. इसमें मिट्टी से मॉडल बनाने से लेकर कंप्यूटर ग्राफिक तैयार करना और कांस्य निर्मित आकृति को पॉलिश करना शामिल है. इसकी डिजाइन, क्राफ्टिंग और कास्टिंग के लिए 100 कलाकारों ने काम किया है और इसे बनाने में 6 महीनों का टाइम लगा है.

इसके लिए पहले ग्राफिक स्कैच बनाया गया और उसके लिए क्ले मॉडल बनाया गया. फिर इस ग्राफिक मॉडल को अप्रूवल मिलने के बाद एफपीआर मॉडल पर काम होता है. इस तरह की आकृति बनाने के लिए पहले क्ले मॉडल बनाया जाता है. ऐसा ही इसे बनाने के लिए किया गया और इसी क्रम में क्ले मॉडल को बनाने के बाद कारीगरों ने कांस्य की मूर्ति बनाना शुरू किया. इसके लिए मोम की मदद से ढलाई की प्रक्रिया अपनाई गई. इसमें पहले मोम और फिर मोम को पिघालकर कांस्य से ये बनाया. इसके बाद पॉलिश आदि से नया लुक दिया गया. इसपर किसी पेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया है, इस पर सिर्फ पॉलिश की गई है.

 

इसे लगाना भी था खास चैलेंज
इसे बनाने के साथ ही इसे स्थापित करना भी अपने आप में एक चुनौती थी. दरअसल, इसे जमीन से 32 मीटर ऊपर तक लगाया गया है. इसके लिए खास क्रेन आदि का इस्तेमाल किया गया और इसके सेटअप के लिए खास चेन सिस्टम और लोहे की लेडर्स के जरिए इसे स्थापित किया जाता है. आज पीएम मोदी ने इसका अनावरण किया.

 

 

 

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