किशोर उपाध्याय ने ली दो बार शपथ पहले ली गढ़वाली में शपथ
उत्तराखंड में पांचवी विधानसभा के शपथ ग्रहण समारोह में टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय ने गढ़वाली भाषा में शपथ लेकर सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। लेकिन, बाद में किशोर को एक बार फिर हिंदी में शपथ लेनी पड़ी। विधानसभा / लोकसभा / राज्यसभा में उन्हीं भाषाओ में शपथ ली जा सकती है जो 8वीं अनुसूची में मान्यता प्राप्त हो। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष उपाध्याय ने विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा का दामन थाम लिया था। उपाध्याय टिहरी विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर सदन तक पहुंचे हैं।
किशोर उपाध्याय का मानना हैं जिस भाषा को मेरी माँ समझ सके आसानी से मैंने उसी भाषा मे शपथ ली। मेरी माँ , चाची ,ताई , गांव की बहिनें गढ़वाली को सरलता समझेंगी इसलिए मैंने गढ़वाली में शपथ ली। और उनका मानना है कि सरकार प्रयास करेगी आगे गढ़वाली / कुमाऊनी शपथ लें सके इसके लिए 8 वीं अनुसूची के लिए प्रयास होंगे। किशोर उपाध्याय इस पहल से गढ़वाली/ कुमाऊनी भाषा की 8 वीं अनुसूची जाने की राह पर काम करने की सम्भावना है इस विषय को बल मिला है।
वर्तमान इन भाषाओं में ले सकते हैं शपथ
संविधान द्वारा मान्यताप्राप्त 22 प्रादेशिक भाषाएँ
असमिया बांग्ला गुजराती हिन्दी कन्नड़ कश्मीरी
मराठी मलयालम उड़िया पंजाबी संस्कृत तमिल
तेलुगु उर्दू सिंधी कोंकणी मणिपुरी नेपाली
बोडो डोगरी मैथिली संथाली
आठवीं अनुसूची में संविधान द्वारा मान्यताप्राप्त 22 प्रादेशिक भाषाओं का उल्लेख है। इस अनुसूची में आरम्भ में 14 भाषाएँ (असमिया, बांग्ला, गुजराती, हिन्दी, कन्नड़, कश्मीरी, मराठी, मलयालम, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, तमिल, तेलुगु, उर्दू) थीं। बाद में सिंधी को तत्पश्चात् कोंकणी, मणिपुरी, नेपाली को शामिल किया गया , जिससे इसकी संख्या 18 हो गई। तदुपरान्त बोडो, डोगरी, मैथिली, संथाली को शामिल किया गया और इस प्रकार इस अनुसूची में 22 भाषाएँ हो गईं।
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