February 11, 2025

Ajayshri Times

सामाजिक सरोकारों की एक पहल

भजन सिंह सिंह लोकोक्ति संकलन से बना गीत तितरी फंसे चखुली फंसे एक अभिनव प्रयोग गीत साहित्य में

भजन सिंह सिंह गढ़वाली लोकोक्ति संकलन का आवरण पृष्ठ

भजन सिंह सिंह लोकोक्ति संकलन से बना गीत तितरी फंसे चखुली फंसे एक अभिनव प्रयोग गीत साहित्य में ।

गढ़वाल के मुहावरों को संकलित जो महान कार्य जमानो पहले भजन सिंह ** सिंह** जी ने किया वो अतुलनीय है , उनके इस लोकोक्तिया संकलन में कही मुहावरों सँकलन किया है , इस किताब में चार लाइन का मुहावरा तीतरी फंसे चखुली फँसे तू क्यों फंसे कागा छिड़बुड़ छिड़ बुड़ देखी हमुन हम बि फंस गयां बाबा , ये गढ़वाली मुहावरा जमानो लोकप्रिय रहा भी हो पर जब गढ़वाली गीतकार गायक नरेंद्र सिंह नेगी जी ने तीतरी फंसे मुहावरे से गीत का स्थाई बनाकर ये गीत उठाया गढ़वाली मुहावरों की अंतरों को ये मुहावरा और भी लोकप्रिय हो गया, तीतरी फंसे गढ़वाली मुहावरो सीक्वेंस स्क्रिप्ट का जो गीत बना गढ़वाली मुहावरा और लोकप्रिय हो गया।

भजन सिंह सिंह का चित्र आवरण पृष्ठ सिंह भारती सम्पादन डॉ यशवंत सिंह कठौच पुस्तक से

किसी भी रचनात्मक अभिव्यक्ति में उस बोली भाषा के कहावतों की अहम भूमिका होती है । उत्तराखंड के लोक मानस से जुड़ी गढवाली कुमाऊनी या अन्या भाषाओं में भी मुहावरे काफी प्रचलन में हैं। जिनको गढवाली पखाणे बोला जाता है । गढवाली पखाणो लोकोक्ति मुहावरो को पुस्तको में प्रकाशित करने कार्य शुरुआत में गढवाली भाषा के अहम स्तम्भ साहित्यकार भजन सिंह “सिंह” जिन्हें ने किया गढवाली लोकोक्ति करके भजन सिंह जी को गढवाली साहित्य का सिंह युग भी कहा जाता है उनके सिंहनाद और सिंह सतसई लोकप्रिय काव्य पुस्तके रही है इन पुस्तकों से पहाड़ की नारी वेदना के गीत खुदेड़ बेटी गीत से प्रभावित होकर कई गीतकारों इस तरह गीत रचे भजन सिंह सिंह जी को गढ़वाली के खुदेड़ गीतों प्रतिनिधि गीतकार माना जाता है। गढवाली मुहावरों आज पुस्तको को अन्या लेखकों द्वारा उनका संकलन किया जाता रहा है। गढवाली मुहावरों का अध्ययन कर किस तरह आप मुहावरों से भी गीत पैदा कर सकते हैं। ऐसा अभिनव प्रयोग नरेंद्र सिंह नेगी जी ने किया उन्होंने गढवाली मुहावरों को एक गीत पटकथा का रूप देकर गीत तीतरी फंसे गीत की काव्यात्मक स्क्रिप्ट रची वो उनकी अध्ययनशीलता और भाषा मे गहरी पकड़ को दर्शाता है ये गीत 2000 में स्पिक मैके संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम ईटीसी पौड़ी  में पण्डित राजन साजन मिश्रा कार्यक्रम के बाद इस गीत रचना हुई थी जो टी सीरीज कम्पनी द्वारा 2002 में स्याणी एल्बम में यह गीत बाजार में आया । पाठको आप ही गहराई से पढ़े गीत को हर अंतरा एक मुहावरा आपने भी इन पहाड़ी मुहावरो सुना या पढा होगा भजन सिंह सिंह जी के गढवाली लोकोक्ति में भी यह सारे मुहावरे प्रकाशित है। मुहावरों को किस तरह गीत में ढालकर उसमे रंगदार धुन से सजाकर एक मेलोडियस गीत जन्म हो सकता ऐसे ही अभिनव प्रयोग श्रेष्ठ रचनाओं को जन्म देते है ।

तीतरी फंसे चखुली फंसे
तू क्यों फंसे कागा छिड़बुड़ छिड़बुड़
हमुन देखी हम बि फंस गया बाबा ।।
मायाजाल मा तेरा ज्यु जिबाल मा ।। ( गढवाली मुहावरा)

तैली सार बरखी मेघ
मैली सार सुखो ( गढवाली मुहावरा)

भँडी खाणो जोगी होयुं
पेले बासा भूखो ( गढवाली मुहावरा)

पल्या डांडा बजरु पोड़े
वल्यु डांडा टूटो (गढवाली मुहावरा)

माया की मतंग खाए
बिथा लोभ झुठो। (गढवाली मुहावरा)

बखरी लीगी बाग बाबा
स्याल पड़े गाली। (गढवाली मुहावरा)

उछली उछली मारा फाल
भाग मा द्वि नाली( गढवाली मुहावरा )

तेल्या बाटा हर्ची हंसुली
मेल्या बाटा पाए( गढवाली मुहावरा )

खिम सिंगन खाए बाबा
बीर सिंग उसाये (गढवाली मुहावरा)

मालू डाली बांदर
ग्वीराल डाली गोणी
हैंका कु करो जू टोणी
तेकू होंदु रोणी ( गड़वाली मुहावरा)

Please follow and like us:
Pin Share

About The Author

You may have missed

Enjoy this blog? Please spread the word :)

YOUTUBE
INSTAGRAM